(बिलासपुर) करंट हादसे में मौत: हाई कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाया, बिजली कंपनी की अपील खारिज

  • 18-Sep-25 05:45 AM


बिलासपुर, 18 सितम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने करंट से हुई मौत के एक मामले में बिजली विभाग को दोषी ठहराते हुए मृतक के परिवार को 7,68,990 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने विभाग की अपील खारिज करते हुए कहा कि बिजली आपूर्ति से जुड़े कार्य खतरनाक होते हैं, इसलिए हादसे में सीधी लापरवाही साबित न होने पर भी विभाग की जिम्मेदारी तय होगी।
यह फैसला जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने दिया। मामला जांजगीर-चांपा जिले के मलकहारौदा क्षेत्र का है, जहां चित्रभान नामक ग्रामीण की करंट लगने से मौत हो गई थी। चित्रभान, पिकरीपार गांव के रहने वाले थे और खेती व मजदूरी से परिवार का भरण-पोषण करते थे। 6 मई 2021 की शाम वे घर लौट रहे थे, तभी घर के सामने से गुजर रही झूलती हुई लो-टेंशन तार की चपेट में आ गए। यह तार 11 केवी लाइन से जुड़ी थी और कई दिनों से लटक रही थी। स्थानीय लोगों ने कई बार बिजली विभाग को इसकी जानकारी दी थी, लेकिन समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई। दुर्घटना में चित्रभान की मौके पर ही मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी शांति बाई, तीन बेटियां और माता-पिता आश्रित थे। पत्नी ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए 28.90 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था। फरवरी 2024 में ट्रायल कोर्ट ने 4 लाख रुपये मुआवजा तय किया था। इसके खिलाफ मृतक परिवार ने हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने माना कि विभाग ने समय पर तार की मरम्मत नहीं की, जिससे यह हादसा हुआ। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के शैल कुमारी बनाम एमपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड केस का हवाला देते हुए कहा कि बिजली सप्लाई का कार्य जोखिम भरा होता है और इस पर 'स्ट्रिक्ट लाइबिलिटीÓ (कठोर जिम्मेदारी) लागू होती है। यानी विभाग इस हादसे से बच नहीं सकता, भले ही प्रत्यक्ष लापरवाही न भी हो। हाई कोर्ट ने विभाग की अपील खारिज करते हुए मुआवजा राशि बढ़ाकर 7,68,990 रुपये कर दी और इसके साथ 6त्न सालाना ब्याज तीन महीने के भीतर पीडि़त परिवार को भुगतान करने का आदेश दिया।
बंछोर
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