(बिलासपुर) पति से बिना कारण अलग रहने वाली पत्नी को भरण-पोषण नहीं मिलेगा: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला

  • 06-Oct-25 02:09 AM

बिलासपुर, 06 अक्टूबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि कोई पत्नी बिना वैध और ठोस कारण के पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं हो सकती। यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश *रमेश सिन्हा* की एकल पीठ ने रायगढ़ निवासी एक महिला की अपील को खारिज करते हुए की है, जिसमें महिला ने पति से गुजारा भत्ता की मांग की थी। मामला क्या है? रायगढ़ निवासी महिला ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति से मासिक *20 हजार रुपये* भरण-पोषण की मांग की थी। उसने बताया कि उसकी शादी 21 जून 2009 को हुई थी और 2011 में जुड़वां बेटों का जन्म हुआ। महिला ने आरोप लगाया कि दहेज को लेकर पति और ससुराल पक्ष ने उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया, और बाद में उसे मायके छोड़ दिया गया। महिला का कहना था कि पति भिलाई में कपड़े का व्यापार करता है और उसकी मासिक आय लगभग *70 हजार रुपये* है, ऐसे में उसे भरण-पोषण की राशि दी जानी चाहिए। पति का पक्ष वहीं पति ने महिला के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसकी पत्नी जानबूझकर उसके साथ नहीं रहना चाहती और वह खुद ही अलग रह रही है। साथ ही उस पर और उसके परिजनों पर झूठे केस दर्ज कराने की धमकी भी देती थी। फैमिली कोर्ट का फैसला रायगढ़ की फैमिली कोर्ट ने 27 सितंबर 2021 को सुनवाई के बाद महिला की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने पाया कि महिला के पास पति से अलग रहने का कोई वैध कारण नहीं है। साथ ही, महिला द्वारा लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों पर *जेएमएफसी कोर्ट* ने भी पति और उसके परिवार को बरी कर दिया था। फैमिली कोर्ट ने अपने आदेश में इस फैसले का भी उल्लेख किया। हाईकोर्ट की टिप्पणी महिला ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुनवाई के बाद *हाईकोर्ट ने भी फैमिली कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया* और महिला की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक पत्नी यह साबित नहीं कर पाती कि वह उचित कारणों से पति से अलग रह रही है, तब तक उसे भरण-पोषण की राशि देने का आधार नहीं बनता। यह फैसला उन मामलों में मिसाल बन सकता है जहां भरण-पोषण की मांग बिना पर्याप्त कारण के की जाती है। कोर्ट ने यह भी दोहराया कि भरण-पोषण का अधिकार तभी बनता है जब पत्नी विवाहित जीवन से अलग होने के लिए न्यायसंगत कारण पेश कर सके। फिलहाल, घरेलू हिंसा से संबंधित मामला अभी भी निचली अदालत में लंबित है।




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