
(बिलासपुर) हाईकोर्ट का शिक्षा विभाग पर सख्त रुख, आरटीई फर्जीवाड़े पर शिक्षा सचिव की अनुपस्थिति पर नाराजगी, अगली सुनवाई में जवाब तलब
- 18-Sep-25 05:46 AM
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बिलासपुर, 18 सितम्बर (आरएनएस)। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत हो रहे कथित फर्जीवाड़े को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने शिक्षा सचिव की गैरमौजूदगी पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, अदालत को मजाक न समझें। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि आरटीई नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है।
यह जनहित याचिका भिलाई के सामाजिक कार्यकर्ता भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर की थी। याचिका में गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि आरटीई के तहत गरीब बच्चों के लिए आरक्षित सीटों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए संपन्न परिवारों के बच्चों को दिया जा रहा है। इसके अलावा, कई निजी स्कूल बिना मान्यता के नर्सरी और केजी स्तर की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं, जिनकी वैधता संदिग्ध है। याचिका में यह भी कहा गया है कि शिक्षा विभाग इस तरह की अनियमितताओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे गरीब बच्चों का हक छीना जा रहा है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग से कई तीखे सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश दिलाने वालों और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई है। साथ ही, बिना मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों पर क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने साफ किया कि यह मामला गरीब बच्चों के शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है और इसकी गंभीरता को हल्के में नहीं लिया जा सकता। स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस रुख का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इस मामले में जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी।
बंछोर
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