(बिलासपुर) हाईकोर्ट से दो अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज, मुख्य आरोपी की सुप्रीम कोर्ट से भी याचिका नामंजूर

  • 16-Sep-25 05:56 AM


बिलासपुर, 16 सितम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रीएजेंट घोटाले में संलिप्त सीजीएमएससी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर वसंत कौशिक की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले, इस घोटाले के मुख्य आरोपी और मोक्षित कॉरपोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को खारिज कर दिया था।
यह मामला लगभग 400 करोड़ रुपये के रीएजेंट घोटाले से जुड़ा है, जिसकी जांच ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। घोटाले में अब तक शशांक चोपड़ा समेत 6 आरोपी जेल में हैं। कुछ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, जबकि अन्य के खिलाफ जांच अभी भी जारी है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, जो ट्यूब बाजार में 1.5 से 8.5 रुपए तक मिलती थी, उसे 352 रुपए प्रति ट्यूब की दर से खरीदा गया। एफआईआर में यह विवरण है, लेकिन बाद की जांच में बताया गया कि ट्यूब 2352 रुपए में खरीदी गई थी। दोनों आंकड़ों में विरोधाभास है, जिससे यह घोटाला और बड़ा प्रतीत होता है।
याचिका में यह भी कहा गया कि डॉ. अनिल परसाई को विभाग द्वारा केवल आहरण और संवितरण (डिस्ट्रिब्यूशन) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, ना कि खरीदी या भुगतान की। उनके पास बजट स्वीकृति या खर्च करने का कोई अधिकार नहीं था। इसके बावजूद उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है, जबकि वास्तविक खरीदी की प्रक्रिया उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा की गई थी, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने यह भी अपील की थी कि शशांक चोपड़ा की सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लंबित है, इसलिए जब तक उस पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक इस याचिका पर सुनवाई टाल दी जाए। लेकिन 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट से चोपड़ा की याचिका खारिज हो गई, जिसके बाद हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की एकलपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट का मानना है कि इस स्तर का आर्थिक घोटाला जनहित को प्रभावित करता है और प्रारंभिक जांच में आरोपियों की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई है।
बंछोर
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