(बोकारो)माहवारी के कारण अब नहीं छूटेगी बेटियों की पढ़ाई, स्कूल में ही उंगलियों के निशान से चुटकियों में पूरी होगी जरूरत*

  • 09-Dec-23 12:00 AM

_*डीपीएस बोकारो की छात्रा आयुषी ने बनाया बायोमेट्रिक तकनीक आधारित सैनिटरी पैड बॉक्स, डोनेशन की भी सुविधा*_*15 को राज्यस्तरीय प्रतिस्पर्धा में दिखेगा प्रोजेक्ट, बाल अधिकार कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर भी हुआ चयन*बोकारो ,09 दिसंबर (आरएनएस)।* पीरियड के दिनों में विद्यालय जाने वाली छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा शर्मिंदगी उन्हें किसी से सैनिटरी पैड मांगने में होती है। इस बारे में वो खुलकर बोल पाने में भी हिचक महसूस करती हैं। कई बार बेटियां माहवारी की परेशानी के कारण स्कूल नहीं आ पातीं और उनकी पढ़ाई बीच में ही बाधित हो जाती है। लेकिन, उनकी इस परेशानी को दूर करने का उपाय खोज निकाला है डीपीएस बोकारो की सातवीं कक्षा की छात्रा आयुषी ने। उसने बायोमेट्रिक तकनीक आधारित एक सैनिटरी पैड बॉक्स का इजाद किया है। इसकी मदद से स्कूली छात्राएं बिना किसी के सामने कुछ बोले और बगैर किसी की मदद के अपनी जरूरत पूरी कर सकती हैं, वह भी महज उंगलियों के निशान मात्र से। आधार नंबर और विद्यालय के रिकॉर्ड से जुड़ी इस प्रणाली में छात्राएं अपना फिंगरप्रिंट इस्तेमाल कर अपनी जरूरत के हिसाब से सैनिटरी पैड निकाल सकती हैं।बुद्धिमता के साथ-साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े इस नवोन्मेषी आविष्कार के लिए आयुषी का चयन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानकÓ योजना 2022-23 में किया गया है। आगामी 15 दिसंबर को रांची में आयोजित इस योजना की राज्यस्तरीय प्रदर्शनी सह प्रोजेक्ट प्रतियोगिता में वह अपने इस नवाचार को प्रस्तुत करेगी। जबकि, हाल ही में बाल अधिकार कांग्रेस (सीआरसी) की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में भी उसका यह प्रोजेक्ट चयनित किया जा चुका है। इंस्पायर मानक में जिलास्तरीय चयन के बाद आयुषी को अपना प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी मिली थी। इस प्रोजेक्ट के निर्माण में छठी कक्षा की छात्रा ट्विंकल सिन्हा ने भी उसका साथ दिया है।*100 पैड की क्षमता वाला है बॉक्स, सरकारी स्कूलों की छात्राओं भी होंगी लाभान्वित*आयुषी ने बताया कि फिंगरप्रिंट सेंसर वाले सैनिटरी पैड बॉक्स में 100 पैड रखने की क्षमता है। बॉक्स दो हिस्सों में बंटा है। एक हिस्से से पैड निकाला जाता है और दूसरे भाग में पैड डोनेशन चैंबर बना है। एक पैड लेने वाली छात्रा को बाद में इसके बदले दो पैड बॉक्स में अधिकतम एक हफ्ते में डोनेट करने होंगे। देर होने पर उसे रिमाइंडर भी दिया जाएगा। जो दो पैड छात्राएं डालेंगी, उनमें से एक सरकारी स्कूल की छात्राओं के लिए दान में प्रयुक्त होगा, जबकि दूसरा उसी बॉक्स में पैड निकालने वाले हिस्से में रखा जाएगा। पैड लेने और देने की प्रक्रिया एलईडी ग्लो बल्ब और सेंसर से जुड़ी है। चार पैड से अधिक होने पर बॉक्स की हरी बत्ती जलेगी और तभी पैड निकाला जा सकता है। इससे कम होने पर लाल बत्ती जलती है, जो बॉक्स की देखरेख करनेवाले कर्मी को सतर्क करेगी। डोनेशन चैंबर से सरकारी स्कूलों की छात्राओं को दान में मिलने वाले पैड के साथ यूजर गाइड देने का भी आइडिया आयुषी ने अपने प्रोजेक्ट में डाला है। बॉक्स का बायोमेट्रिक सिस्टम स्कूल के डेटाबेस से जुड़ा होगा। यानी पैड लेने वाली छात्रा का पूरा डिटेल स्वत: स्कूल के क्लाउड स्टोरेज में दर्ज हो जाएगा। इसी के आधार पर पैड डोनेशन में विलंब होने पर सीधे मोबाइल पर उसे रिमाइंडर मैसेज मिल सकेगा।*छात्राओं की परेशानी देख सूझा आइडिया*आयुषी ने बताया कि स्कूल में छात्राओं को जरूरत के दिनों में समय पर पैड नहीं मिल पाने से होने वाली परेशानी को देखते हुए उसके मन में यह फिंगर सेंसर सैनिटरी पैड बॉक्स बनाने का आइडिया सूझा। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटरी पैड, साफ पानी और उपयुक्त शौचालय जैसे बुनियादी संसाधनों की कमी के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। इससे उनमें चिंता और शर्मिंदगी पैदा हो सकती है और उनके लिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना व नियमित स्कूल जाना कठिन हो सकता है। इस प्रोजेक्ट के उद्देश्यों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, कम लागत वाले सैनिटरी नैपकिन की पहुंच प्रदान करना, पैड दान कार्यक्रम में निजी और सरकारी दोनों स्कूलों को शामिल करना, स्वच्छता शिक्षा का एक स्थायी चक्र सुनिश्चित करना आदि हैं। बीएसएल अधिकारी अनंत कुमार गौरव और शिक्षिका राखी गौरव की होनहार सुपुत्री आयुषी की बड़ी बहन अंजलि शर्मा भी मेधावी छात्रा है। लड़कियों के लिए सेफ्टी कॉलिंग वाच और शरीर से लाचार लोगों के लिए कई अनूठी सुविधाओं वाली बैसाखी बनाने के लिए उसका चयन भी इंस्पायर अवार्ड मानक में हो चुका है।*छात्राओं के लिए उपयोगी व कारगर सोच*_स्कूली बच्चियों के हित में आयुषी ने काफी उपयोगी व कारगर सोच को धरातल पर उतारने के काम किया है। उसके द्वारा बनाया गया फिंगरप्रिंट सेंसर सैनिटरी पैड बॉक्स जरूरतमंद छात्राओं के लिए काफी सुविधाजनक है। इसके इस्तेमाल से छात्राओं को आपात स्थिति में परेशानी नहीं होगी। बुद्धिमता के साथ-साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े इस परोपकारी नवाचार के लिए आयुषी का चयन भारत सरकार की इंस्पायर अवार्ड मानक योजना और बाल अधिकार कांग्रेस की राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए किया गया है।_




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