(बोकारो)शारदीय नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना की गई

  • 21-Oct-23 12:00 AM

निर्मल महाराज बोकारो ,21 अक्टूबर (आरएनएस)। शारदीय नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा किया जाता है।देवी कालरात्रि का रंग अंधकार की तरह काला है और इनके श्वास से अग्नि की लपटें निकलती रहती हैं. माँ के बाल घने काले, घुटनों तक लम्बे और बिखरे हुए हैं और गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकते रहती है. माँ कालरात्रि को आसुरी शक्तियों का विनाश करनेवाला बताया गया है. माँ के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खड्ग, दूसरे में दिव्यास्त्र, तीसरा अभय मुद्रा और चौथा वरमुद्रा में है. माँ कालरात्रि अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाती हैं और सदैव शुभ फल प्रदान करतीं हैं. इसीलिये माँ का एक नाम शुभंकरी भी है. माँ कालरात्रि का वाहन गर्दभ है. माँ का यह स्वरूप काल से रक्षा करने वाला है. माँ के सच्चे साधकों की कभी भी अकालमृत्यु नहीं होती.पुराणों में माँ कालरात्रि को सभी सिद्धियों की देवी कहा गया है. इसीलिये अधिकांश तांत्रिक मां कालरात्रि और महाकाल की साधना करते हैं. चण्ड, मुण्ड और रक्तबीज का वध माँ कालरात्रि ने ही किया था. भारत के अधिकांश गाँवों ( खासकर बंगाल और बिहार ) में माँ काली का मंदिर अवश्य होता है. भगवान वामन के वंशज कश्यपगोत्रिय वामनगँउआ ओझा ब्राम्हण माँ कालरात्रि की पूजा अपने कुलदेवी के रुप में करते हैं. इसीलिये माँ का एक नाम काश्यपी भी है. हमलोग कान्यकुब्ज वामनगंउआ ओझा ब्राह्मण हैं और माँ कालरात्रि हमलोगों की कुलदेवी हैं।




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