(बोकारो)सिंचाई दक्षता के माध्यम से आदिवासी किसानों को सशक्त बनाना वेदांता ईएसएल का लक्ष्य
- 23-Dec-24 12:00 AM
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-वेदांता ई एस एल, नाबार्ड और ग्रामीण सेवा संघ ने मनाया किसान दिवस बोकारो 23 दिसंबर (आरएनएस)। राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर, वेदांता ईएसएल, नाबार्ड और ग्रामीण सेवा संघ के सहयोग से, परियोजना वाड़ी के तहत अत्याधुनिक ड्रिप सिंचाई सुविधाओं का उद्घाटन फीता काटकर वेदांता ई एस एल के सीएसआर हेड कुणाल दरीपा ने किया जिस पर संस्था गर्व करता है। भारत के पांचवें प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित यह कार्यक्रम बोकारो जिले के चास और चंदनकियारी ब्लॉक के आठ गांवों में 500 आदिवासी किसान परिवारों के लिए सतत कृषि विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। प्रोजेक्ट वाड़ी ईएसएल स्टील लिमिटेड की प्रमुख सतत कृषि परियोजना है, जिसे नाबार्ड के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है। ईएसएल स्टील लिमिटेड का सीएसआर विभाग कार्यान्वयन एजेंसी ग्रामीण सेवा संघ के साथ साझेदारी में प्रोजेक्ट वाड़ी की देखरेख और सूक्ष्म प्रबंधन करता है। इस परियोजना का उद्देश्य आदिवासी और महिला किसानों को उनकी खेती में सतत कृषि और लिंग समावेशन को लागू करने में मदद करना है और यह बोकारो जिले के अंतर्गत चास और चंदनकियारी ब्लॉक के 8 गांवों में 500 से अधिक आदिवासी किसान परिवारों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।वर्तमान में, 450 एकड़ बंजर भूमि को बाग विकास और सब्जियों के साथ अंतर-फसल के माध्यम से खेती योग्य भूमि में परिवर्तित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के लिए पूरे मौसम में आय सृजन हो रहा है। जिसमें मृदा संवर्धन, अंतर-फसल, फलों के बागान, शौर्य पंपहाउस और सिंचाई सुविधाएं बनाई गई हैं। पचास भूमिहीन किसानों को पोल्ट्री, जैविक खाद, बकरी पालन, बत्तख पालन और सुअर पालन और मत्स्य पालन के माइक्रो एंटरप्राइज समूहों में लगाया गया है। अब तक की प्रगति उल्लेखनीय रही है, मृदा संवर्धन, फलों के बागान, शौर्य ऊर्जा से चलने वाले पंपहाउस और सिंचाई सुविधाएं पहले ही स्थापित हो चुकी हैं।सीएसआर प्रमुख कुणाल दरिपा ने कहा, इस राष्ट्रीय किसान दिवस पर, हम किसानों को अभिनव और टिकाऊ कृषि समाधानों के साथ सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की गर्व से पुष्टि करते हैं। ड्रिप सिंचाई और कोनोवीडर जैसी पहल के माध्यम से, हम खेती के तरीकों को बदलने, उत्पादकता बढ़ाने और वर्षा आधारित कृषि पर निर्भरता को कम करने, दीर्घकालिक समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।
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