(भोपाल)अंतर्विभागीय समन्वय एवं जागरूकता से फाईलेरिया को जड़ से ख़त्म करें- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल
- 05-Feb-25 12:00 AM
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भोपाल 5 फरवरी (आरएनएस)। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने मंत्रालय वल्लभ भवन में राष्ट्रीय फायलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की प्रगति और कार्ययोजना की समीक्षा की। उप मुख्यमंत्री ने स्टेट टास्क फ़ोर्स की बैठक में निर्देश दिए कि सभी विभाग अंतर्विभागीय समन्वय और जागरूकता से फायलेरिया को जड़ से ख़त्म करने हेतु अपने दायित्वों का निर्वहन करें। उन्होंने निर्देश दिए कि विभिन्न विभाग मैदानी अमलों से 10 फऱवरी से प्रारंभ हो रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) जमीनी कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण सुनिश्चित करें साथ ही अभियान में आम जन की सहभागिता सुनिश्चित करें। बैठक में स्वास्थ्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य, जनसंपर्क, वन, नगरीय निकाय और आवास, स्कूल शिक्षा और केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और प्रतिनिधि उपस्थित थे।उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने स्टेट टास्क फ़ोर्स की बैठक में वर्तमान में प्रदेश में लिम्फेटिक फायलेरियासिस बीमारी की स्थिति, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए) चक्र-2025 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक्शन प्लान और फायलेरिया उन्मूलन गतिविधियों के संचालन हेतु अन्य विभागों से अपेक्षायें एवं सहयोग के विषयों की वृहद् समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी संबंधित विभाग प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर से प्रयास करें। उप मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्र के नागरिकों से अपील की है कि एमडीए अभियान में वितरित दवाओं का अवश्य सेवन करें। फायलेरिया के उन्मूलन में सहयोग करें।मिशन संचालक एनएचएम डॉ. सलोनी सिडाना ने बताया कि मध्यप्रदेश के छतरपुर, दतिया, कटनी, पन्ना, उमरिया रीवा, मउगंज, टीकमगढ़, निवाड़ी फायलेरिया बीमारी से ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 2025 में नॉन एण्डेमिक जिला शहडोल एम.डी.ए गतिविधि अंतर्गत शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि एमडीए 2024 में मध्य प्रदेश के 12 जिलों के 35 ब्लॉक में एमडीए का क्रियान्वयन किया गया। वर्ष-2024 में प्रदेश के 4 जिलों सागर, सतना, छिन्दवाड़ा एवं दमोह में एम.डी.ए. को सफलतापूर्वक संचालन कर बंद कर दिया गया है। प्रदेश में कुल लिम्फेडिमा के 3059 और हाइड्रोसील के 1011 मामले दर्ज किये गए हैं। जिन्हें विभाग द्वारा सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।प्रदेश में 10 फरवरी से 25 फरवरी तक 9 जिलों के 23 चिन्हित विकासखण्डों में प्रशिक्षित दवा सेवकों के माध्यम से बूथ डे एवं घर-घर भ्रमण के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन समस्त पात्र हितग्राहियों को कराया जाएगा। एम.डी.ए अंतर्गत डी.ए अर्थात् डाय ईथाइल कार्बामैजिऩ सीट्रेट (डीईसी) और अल्बेंडाजोल का सेवन शहडोल, दतिया एवं निवाड़ी में और आई.डी.ए अर्थात् ट्रिपल ड्रग - डी.ई.सी, एल्बेण्डाज़ोल एवं आइवरमेक्टिन का सेवन जिला- मउगंज, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, कटनी, उमरिया में कराया जाएगा।एमडीए के सघन और सफल क्रियान्वयन करने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा 13 दिन का माइक्रोप्लान तैयार किया गया है। इसके तहत 3-4 दिन बूथ स्तर पर, 6 दिन घर-घर अभियान और 3 दिन में शेष रह गई जनता के लिए फॉलोअप गतिविधि की जायेंगी। शत-प्रतिशत दवा सेवन के लिए उच्च/वर्तमान संचरण क्षेत्रों में आमजन को जागरूक और प्रेरित किया जाएगा। विभिन्न विभागों से ज़मीनी सहयोग प्राप्त करने के लिए विभागवार अपेक्षाओं को कार्ययोजना में शामिल किया गया है। बैठक में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री संदीप यादव, मिशन संचालक एनएचएम डॉ. सलोनी सिडाना सहित विभिन्न विभागों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे।फायलेरिया संक्रमित मच्छर (क्यूलेक्स) के द्वारा फैलने वाली बीमारी है। यह बीमारी एक धागे के समान कृमि वुचरेरिया बेनक्रफ्टाई से होती है। प्रदेश में फायलेरिया बीमारी संक्रमण हेतु क्यूलेक्स क्वींक्वीफेसियेटस प्रमुख वाहक मच्छर है। यह मच्छर सामान्यत: गंदे एवं रूके हुए पानी में प्रजनन करता है। फायलेरिया बीमारी के प्रमुख लक्षण प्रारंभिक अवस्था में लगातार बुखार, प्रभावित अंगों (पैरों/हाथ/अण्डकोष/स्तन) में दर्द एवं सूजन है, जो कि धीरे-धीरे हाथी पांव के समान हो जाती है। संक्रमण के 8 से 10 वर्षों के बाद भी उपरोक्त लक्षण प्रकट हो सकते है।राष्ट्रीय फायलेरिया उन्मूलन हेतु मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए), मोर्बिडिटी मैनेजमेंट ऐंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) गतिविधियाँ की जा रही हैं। एमडीए में प्रत्येक वर्ष में 01 बार 02 साल से अधिक उम्र (02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती माताओं एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर) के जनसमुदाय को निर्धारित मात्रा में डी.ई.सी (डाय इथाईल कार्बामैज़ीन) एवं एल्बेण्डाजोल दवा का सेवन कराया जाता है। नवीन नीति अनुसार चिन्हित जिलों में इन दो दवाओं के साथ आईवरमेक्टिन दवा का भी उपयोग किया जा रहा है जिसे आईडीए का नाम दिया गया हैं। एमएमडीपी में लिम्फेडिमा से ग्रसित रोगियों को उनके स्वास्थ्य लाभ एवं बेहतर जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं मेडिकल किट प्रदान किया जाता है। इसी तरह हाईड्रोसिल से ग्रसित रोगियों को चिहिन्त करते हुये उनके नि:शुल्क शल्य क्रिया की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।
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