(भोपाल)अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी, वक्ताओं ने रख अपने विचार

  • 10-Oct-23 12:00 AM

हिंदी भाषा का आधुनिकीकरण और विस्तारभोपाल 10 अक्टूबर (आरएनएस)। केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 10 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2023 तक आयोजित हिंदी भाषा का आधुनिकीकरण और विस्तार विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज शुभारंभ हुआ।उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया जी रहें, मुख्य अतिथि प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी. निदेशक केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा एवं नई दिल्ली रहें। इस सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रो. सुनील गुप्ता कुलपति, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल एवं प्रो. अखिलेश पाण्डे, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, डॉ. मुकेश मिश्रा निदेशक दन्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान भोपाल रहे।माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत हुई। इस अवसर पर प्रो. ललिता एन. द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया। उद्घाटन सत्र में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी वि.वि. और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के बीच एमओयू किया गया जिससे दोनों विश्वविद्यालय के बीच ज्ञान - विज्ञान एवं संसाधनों के आदान-प्रदान करने पर सहमति बनी।विशिष्ट अतिथि प्रो. सुनील गुप्ता, कुलपति, राजीव गांधी वि.वि. भोपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा के आधुनिकीकरण का अर्थ है कि इसमें अन्य नवीन खोजों से सम्बंधित विषयों को सहजता से समाहित किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने मप्र में चिकित्सा शिक्षा को हिंदी भाषा के विस्तार से जोड़ा और कहा कि जब भाषा का विस्तार होता है। तब इसका आधुनिकीकरण होता है इस प्रकार दोनों प्रक्रियाएं आपस में जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि इस बात से खेद होता है कि जब हम हिंदी के आधुनिकीकरण पर काम करते हैं तो अंग्रेजी के शब्दों के मोह को छोड़ नही पाते है। उन्होने बताया कि जब से हमने अपने नवाचारों में अंग्रेजी को प्राथमिकता देना शुरू किया है तब से, नवाचारों की गति बहुत धीमी हो गयी। क्योंकि मूलत: हिंदी मातृभूमि होने से हम पहले इसे अपने अन्त:करण में हिंदी में आनुवाद करते है। जिससे समय अधिक लग जाता है। इसलिए शोध एवं अन्वेषण के लिए हमें अपनी मातृभाषा को प्रमुखता देना चाहिए। इसलिए हमें अपने व्यवसाय शिक्षा आदि की भाषा हिंदी को ही बनाये रखना चाहिए, क्योंकि जिस भाषा में हम व्यवसाय करतें है। उस भाषा का विस्तार अंत्यत तीव्रबति से होता है। मुख्य अतिथि प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, निदेशक केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा एवं केन्द्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली ने अपने वक्तव्य में कहा कि समसामयिक समय में हिंदी भाषा से जुड़े सरोकारों और विषयों से विद्यार्थियों व समाज को परिचित कराने के लिए इस प्रकार के आयोजनों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। भाषा पर निरंतर विचार-मंथन होते रहना आवश्यक है उन्होनें कहा कि कोरोना काल में भी तकनीकी के साथ भाषा के विस्तार को हमने अनुभव किया है। जापान व अन्य देशों का उदाहरण हमारे सामने है कि भाषा बना कर उसे आधुनिक व उन्नत कर सकते है। उन्होंने बताया कि भाषा व साहित्य का डिजिटलाइजेशन करना अत्यंत आवश्यक है। साथ में यह भी ध्यान रखने योग्य है कि मशीन और कृत्रिम बुद्धिमता की तुलना में करना चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी वैश्विक स्तर पर अत्यंत तीव्रगति से आगे बढ़ रही है। इसका प्रचार-प्रसार दुनिया भर में हो रहा है। मंदारिन के पश्चात हिंदी दूसरे स्थान पर बोली जाने वाली भाषा है शीघ्र ही यह प्रथम स्थान पर बोली जाने वाली भाषा बनेगी। उन्होंने कहा कि हिंदी में स्तरीय शोध पत्रों की अभी कमी दिखाई देती है किंतु इसमें भी शीघ्र ही सुधार होगा। उन्होनें केन्द्रीय हिंदी निदेशालय एक लम्बे समय से हिंदी के उत्थान और विकास के लिए अनेक प्रयास कर रहा है। न केवल शोध संगोष्ठी बल्कि वह अनेक प्रकार के हिंदी को शब्दों कोषों का भी निर्माण कर रहा है, जिससे हिंदी और अधिक विस्तारित हो रही है। उद्घाटन सत्र के अनत में आभार व्यक्त करते हुए वि.वि. के कुलसचिव शैलेन्द्र जैन ने कहा है वि.वि. की स्थापना ही हिंदी के विस्तार और उन्नयन के लिए हुआ है और वि.वि. इस हेतु सदैव संकल्पित है। यह संगोष्ठी इसी दिशा में किया जाने वाला एक प्रयास है क्योंकि जिन भाषाओं परम्पराओं और संस्कृतियों पर चर्चा और विमर्श नहीं होता है। वे स्वत: ही समाप्त हो जाती है।




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