(भोपाल)एक देश-एक चुनावÓ को लागू करने में मोदी जी के साथ खड़ा हो पूरा देश-शिवप्रकाश
- 20-Sep-25 12:00 AM
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भोपाल,20 सितंबर (आरएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश एवं प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने शनिवार को हुजूर विधानसभा के संत हिरदारामनगर स्थित गर्ल्स कॉलेज ऑडिटोरियम में एक राष्ट्र-एक चुनावÓ पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित किया। इस दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद विशेष रूप से उपस्थित थे। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में इतना साहस है कि वे देश के हित में कोई भी कठोर निर्णय ले सकते हैं। एक देश-एक चुनावÓ को लागू करने में देश के सभी लोगों को उनके साथ खड़े होना चाहिए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि मध्यावधि चुनाव और आपातकाल के कारण एक राष्ट्र-एक चुनाव की व्यवस्था बिगड़ गई। विपक्षी दल एक राष्ट्र एक, चुनावÓ पर सवाल उठाकर हमारे देश के समझदार और जागरूक मतदाताओं पर प्रश्न चिन्ह उठाने का काम कर रहे हैं। संबोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म चलो जीते हैंÓ का प्रदर्शन किया गया। सेवा पखवाड़े के तहत रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान किया। संगोष्ठी को विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी में एक राष्ट्र-एक चुनावÓ के पक्ष में छात्र छात्राओं ने भी अपने विचार रखे।भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि अधिकतर नेता डरे हुए रहते हैं, वो कठोर निर्णय नहीं ले पाते। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो घबराते नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि मैं राजनीति टाइम पास करने नहीं, बल्कि व्यवस्थाएं ठीक करने के लिए आया हूं। वो ट्रंप के टैरिफ के सामने नहीं झुके। उन्होंने नोटबंदी करके भ्रष्टाचार पर नकेल कसी। मुस्लिम बहनों को परेशानियों से मुक्त करने के लिए तीन तलाक विरोधी कानून बनाया। वक्फ बोर्ड की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने कानून बनाया और हाल ही में जीएसटी की दरें कम करने का साहसिक निर्णय लिया है। उनमें इतना साहस है कि वो वन नेशन-वन इलेक्शन जैसी व्यवस्था को लागू कर सकते हैं। देश के विकास के लिए देश के हर नागरिक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के आजादी के बाद 1952, 1957 और 1962 में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए। बाद में कांग्रेस की सरकार ने जब अन्य दलों की सरकारों को भंग करना शुरू किया, तो मध्यावधि चुनाव होने लगे। जब पहले हुए चुनावों के दौरान कोई समस्या नहीं आई, तो अब देश में एक साथ चुनाव कराने में क्या समस्या आ सकती है।भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि एक सरकार पांच साल के लिए चुनी जाती है, लेकिन पांच सालों के उसके कार्यकाल के दौरान चार बार चुनाव होते हैं। विधानसभा, लोकसभा, नगरीय निकाए, पंचायती राज संस्थाएं और सहकारिता के चुनाव होते हैं। इन चुनावों के कारण पांच साल में चार बार आचार संहिता लगती है और 200 से लेकर 250 दिनों तक सरकारी कामकाज नहीं होते जिससे विकास के काम रूक जाते है और योजनाएं लागू नहीं होती। हर चुनाव में लाखों सरकारी कर्मचारी काम करते हैं, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित होता है। बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी जैसे सुरक्षा बलों को चुनाव ड्यूटी के लिए बार-बार अपना काम छोड़कर आना पड़ता है। हर चुनाव में सरकार लिटरेचर छपवाती है, स्टेशनरी खर्च होती है, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। राज्य के या केंद्रीय प्रशासनिक अधिकारी आब्जर्वर बनाकर अन्य राज्यों में भेजे जाते हैं। इससे काम प्रभावित होता है। चुनाव के छह महीने पहले से लेकर सरकार बनने के छह महीने बाद तक नौकरशाही सिर्फ कयासों में लगी रहती है, काम बंद कर देती है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। चुनावों के कारण सामाजिक, जातिगत वैमनस्य बढ़ता है और यह खाई हर चुनाव के साथ बढ़ती जाती है। बार-बार चुनाव होने से लोकतंत्र में धन का प्रभाव बढ़ रहा है। एक साथ चुनाव होने से सीमावर्ती राज्यों में अवैध घुसपैठ और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी तथा देश के विकास के लिए समय और पैसे की बचत होगी। देश का मतदाता काफी समझदार है। वह नीर-क्षीर विवेक से निर्णय लेना जानता है। इसलिए उसकी नीयत पर शक करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि एक देश-एक चुनाव अभियान देश के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाला है और देश के हर व्यक्ति को इसके साथ खड़े होना चाहिए।कांग्रेस और विपक्षी दल मतदाताओं पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं-हेमंत खण्डेलवालभाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि आज एक देश -एक चुनावÓ एक ऐसा विषय है जिस पर पूरे देश और पूरे समाज की चिंता है। देश को महात्मा गांधी ने आजाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान लिखा। सन 1962 ,1967 तक हमारे देश में एक साथ चुनाव होते थे। सन 1967 के बाद मध्यावधि चुनाव, फिर आपातकाल के कारण यह सिलसिला बिगड़ गया और फिर चुनाव अलग-अलग होने लगे। पिछले लोकसभा चुनावों की अगर बात की जाए तो उसका कुल शासकीय खर्चा एक लाख करोड़ से ज्यादा था। प्रत्याशियों का खर्चा, समाज के विभिन्न लोगों का खर्चा इसमें शामिल नहीं था। अगर विधानसभा के खर्चों को जोडकर हम इसमें पांच का भाग दें तो 20 हजार करोड़ का बोझ देश पर आता है। अगर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय आयुष्मान योजना का बजट भी सिर्फ 9 हजार 500 करोड़ है। मतलब साफ है कि 20 हजार करोड़ से देश में कोई बड़ा काम हो सकता है।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक खण्डेलवाल ने कहा कि विपक्षी दलों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार है इसलिए एक राष्ट्र-एक चुनावÓ, कराकर जीतना चाहती है। हमारे देश का मतदाता जागरूक है। उनकी जागरूकता पर प्रश्न चिह्न नहीं उठाया जा सकता। सभी दलों को खर्चा और समय बचाना चाहिए। उड़ीसा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हुए, लेकिन मतदाताओं ने चुनावों में अलग-अलग फैसला दिया। ग्रामीण मतदाता भी जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच को वोट करते है। जनता को मालूम रहता है कि कहा पर वोट करना है। बार-बार चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लगती है और विकास की रफ्तार थम जाती है। एक राष्ट्र-एक चुनाव से देश का धन और समाज का समय बचेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस देश को तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनाना है तो हमें समाज का समय और राष्ट्र का धन बचाना पड़ेगा। वर्ष 2050 में चीन और अमेरिका से भी आगे भारत की इकोनॉमी रहे तो हमें इस विषय पर जरूर ध्यान देना चाहिए ,क्योंकि समय और धन आने वाले कल की जरूरत है। वर्ष 2050 में आज की युवा पीढ़ी देश का नेतृत्व करेगी। आज छात्रों ने एक राष्ट्र-एक चुनावÓ पर संगोष्ठी के माध्यम से जो अपने विचार रखे उससे साफ है कि आज की युवा पीढ़ी का एक राष्ट्र-एक चुनावÓ को लेकर तैयार है।संगोष्ठी के शुभारंभ से पहले सेवा पखवाड़े के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म चलो जीते हैं का प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री जी के बाल्यकाल में आने वाली कठिनाइयों, संघर्षों और परिश्रम को फिल्म के जरिए दिखाया गया है। संगोष्ठी के साथ रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं और लोगों ने रक्तदान किया।इस दौरान मंच पर मीसाबंदी कर्नल नारायण पारवानी एवं नेचुरोपैथी के चिकित्सक डॉ. अंकेश सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम में हुजूर विधानसभा के विभिन्न कॉलेज एवं स्कूल के छात्र छात्राएं, कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, समाजजन एवं क्षेत्रवासी शामिल हुए।
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