(भोपाल)ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ परशुराम संगठन सुप्रीम कोर्ट में दायर करेगा याचिका
- 02-Aug-25 12:00 AM
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भोपाल,02 अगस्त (आरएनएस)। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी में ओबीसी को 27त्न आरक्षण देने को लेकर चल रही सियासी खींचतान के बीच अब परशुराम सेवा संगठन ने मोर्चा खोल दिया है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि वह हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दायर सुप्रीम कोर्ट की याचिका का विरोध करेगा।परशुराम सेवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील पांडे ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि 4 मई 2022 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगाई गई थी। इस रोक को हटाने के लिए प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 5 अगस्त को होनी है। संगठन सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेगा कि आरक्षण की वर्तमान विसंगतियों को समाप्त किया जाए ताकि सभी वर्गों के साथ समान न्याय हो।पांडे ने बताया कि फिलहाल राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) को 16त्न, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20त्न, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14त्न और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत सवर्णों को 10त्न आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस का आरक्षण 50त्न की अधिकतम सीमा में नहीं जोड़ा गया है, जबकि ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27त्न करने का प्रयास संविधान पीठ द्वारा तय की गई 50त्न सीमा का उल्लंघन करता है।उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि 50त्न से अधिक आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार को असाधारण परिस्थितियों के समर्थन में ठोस और वैध डेटा प्रस्तुत करना होगा, जो अब तक नहीं किया गया है। जब तक यह प्रमाणित नहीं होता, तब तक हाईकोर्ट की लगाई गई रोक लागू रहनी चाहिए।परशुराम सेवा संगठन का कहना है कि वे किसी भी वर्ग के आरक्षण के विरोध में नहीं हैं, बल्कि उनका उद्देश्य सभी वर्गों को समान अधिकार और न्याय दिलाना है। संगठन ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को दिए जा रहे आरक्षण में व्याप्त सभी अंतरों को समाप्त किया जाए।संगठन ने आरोप लगाया कि वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी लाभ लेने की होड़ में लगी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक न्याय नहीं बल्कि राजनीतिक वोट बैंक साधना है। पांडे ने कहा कि जब तक आरक्षण की नीति में सभी वर्गों के लिए समानता नहीं लाई जाती, तब तक संगठन इसका संवैधानिक और सामाजिक स्तर पर विरोध करता रहेगा।
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