(भोपाल)कपास आयात पर ड्यूटी खत्म कर किसानों को संकट में धकेल रही सरकार : अरुण यादव

  • 03-Sep-25 12:00 AM

भोपाल/03 सितम्बर (आरएनएस)। मध्यप्रदेश के कपास उत्पादक किसानों से जुड़ा एक गंभीर प्रश्न देश के सामने खड़ा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में अमेरिका समेत अन्य देशों से आयातित कपास पर दिसंबर 2025 तक आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) समाप्त कर दी है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब आगामी माह अक्टूबर से देशभर के किसान अपनी कपास की उपज बेचने के लिए तैयार खड़े होंगे। सरकार के इस फैसले से देशी कपास की माँग में गिरावट आएगी और कपास उद्योग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति सस्ते विदेशी कपास से करेगा। इसका सीधा नुकसान हमारे किसानों को होगा, जिन्हें उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पाएगा।कपास उत्पादन में हमारा मप्र अग्रणीमध्यप्रदेश देश में कपास उत्पादन में सातवें स्थान पर है। यहाँ 5.37 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में कपास की खेती होती है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 18.01 लाख बेल्स कपास का उत्पादन हुआ था, जबकि 2024-25 में घटकर 15.35 लाख बेल्स होने का अनुमान है। यानी केवल एक वर्ष में ही 2.66 लाख बेल्स का नुकसान हुआ है।कपास का लगातार घटता रकबापिछले 6 वर्षों में प्रदेश में कपास की खेती का रकबा 1.13 लाख हेक्टेयर कम हुआ है। 2019-20 में जहाँ 6.50 लाख हेक्टेयर में कपास बोया जाता था, वहीं 2024-25 तक घटकर 5.37 लाख हेक्टेयर रह गया है। उत्पादन बनाम खपतभारत में कपास की खपत हर साल उत्पादन से अधिक रहती है। वर्ष 2023-24 में देश ने 325.22 लाख बेल्स का उत्पादन किया, लेकिन 354.48 लाख बेल्स की खपत हुई। अंतर को पूरा करने के लिए 15.20 लाख बेल्स आयात करनी पड़ी। वर्ष 2024-25 में उत्पादन 294.25 लाख बेल्स रहने का अनुमान है, जबकि खपत 336 लाख बेल्स तक पहुँच जाएगी। इस तरह कपास आयात की हिस्सेदारी 7.4 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी।किसानों की समस्याजब विदेशी कपास कम दाम में उपलब्ध होगा तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री स्वाभाविक रूप से उसका उपयोग करेगी। परिणामस्वरूप किसानों की उपज को खरीददार नहीं मिलेंगे या फिर औने-पौने दाम पर उन्हें बेचने के लिए विवश होना पड़ेगा। यह किसानों को आर्थिक संकट की ओर धकेलने वाला निर्णय है।पूर्व केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री अरुण यादव की मांगपूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री अरुण यादव ने इस निर्णय पर गहरी आपत्ति जताई है और कहा है कि -1. सरकार को तुरंत विदेशी कपास पर हटाई गई इंपोर्ट ड्यूटी बहाल करनी चाहिए।2. कपास उत्पादक किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (डैच्) सुनिश्चित कर खरीदी की गारंटी दी जाए।3. टेक्सटाइल इंडस्ट्री को घरेलू कपास से खरीदने के लिए बाध्यकारी नीति बनाई जाए।4. किसानों को उनके उत्पादन का लाभकारी मूल्य दिलाने हेतु विशेष पैकेज घोषित किया जाए।श्री यादव ने कहा कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठाती है तो प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लाखों कपास उत्पादक किसान गहरे संकट में फँस जाएंगे । इसलिए सरकार को देश के अन्नदाताओं के हित में आवश्यक नीतिगत निर्णय लेना चाहिए ।




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