(भोपाल)केंद्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने मध्यप्रदेश के सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ भी किया संवाद
- 10-Jul-25 12:00 AM
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भोपाल 10 जुलाई (आरएनएस)।केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारिता मंत्रालय के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गुजरात के आणंद में अमूल एवं नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के विविध विकास कार्यों का शुभारंभ किया। इस अवसर पर देशभर से आये सहकारी समितियों के सदस्यों, विशेषकर महिला प्रतिनिधियों से संवाद कर सहकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को सराहा। इसमें मध्यप्रदेश की विभिन्न पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों) के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए, जिस पर उन्हें सराहना मिली।केंद्रीय मंत्री शाह को धार जिले की नौगांव पैक्स की प्रबंधक रुचिका परमार ने बताया कि उनकी संस्था से 2508 सदस्य जुड़े हैं और प्रतिवर्ष लगभग ?15 करोड़ मूल्य का नकद एवं खाद वितरण किया जाता है। संस्था समर्थन मूल्य योजना और पीडीएस संचालन के साथ अनुपयोगी भूमि पर मैरिज गार्डन की योजना पर कार्य कर रही है। मंत्री शाह ने इस प्रस्ताव की सराहना करते हुए उन्हें जिला सहकारी बैंक से ऋण के लिए आवेदन करने की सलाह दी एवं पैक्स को आयवर्धक गतिविधियाँ जैसे हर घर नल योजना का रखरखाव, सीएससी सेंटर, डेयरी इकाई, माइक्रो एटीएम और बैंक मित्र जैसी सेवाएँ शुरू करने के लिये प्रेरित किया।केंद्रीय मंत्री शाह को धार जिले की कृषक सुदामा अछालिया ने बताया कि वे ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर टमाटर, मक्का और सोयाबीन जैसी फसलों की वैज्ञानिक खेती कर रही हैं। संस्था से उन्हें बिना ब्याज पर ऋण भी प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों के उपयोग से उनकी उत्पादकता में 75 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। मंत्री शाह ने उन्हें एनएएफईडी और एनसीसीएफ के माध्यम से पंजीकरण कर फसलें एमएसपी पर बेचने की सलाह दी, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसान मंडी में बेहतर दाम पाएँ तो स्वतंत्र हैं, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर होने पर भारत सरकार उनकी फसल खरीदेगी। सुदामा ने मक्का की बुवाई के लिए हाथ से चलने वाली मशीन सब्सिडी पर उपलब्ध कराने का सुझाव दिया, जिस पर केंद्रीय मंत्री शाह ने बताया कि एक नई योजना के तहत पैक्स के माध्यम से कृषि यंत्र किराये पर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।केंद्रीय मंत्री शाह को रायसेन जिले की सलामतपुर पैक्स के प्रतिनिधि कुंवर सिंह दांगी ने बताया कि उनकी समिति ने 50 एकड़ क्षेत्र में नेपियर घास की खेती प्रारंभ की है, जिससे किसानों को प्रति एकड़ ?1 लाख तक का लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था का मशरूम वल्र्ड कंपनी से टाईअप भी हुआ है। मंत्री शाह ने पैक्स के बायलॉज में किए गए संशोधन का उल्लेख करते हुए उन्हें जिला सहकारी बैंक के निरीक्षक से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर नई गतिविधियों को जोडऩे की सलाह दी। दांगी ने बताया कि उनकी समिति प्रधानमंत्री अन्न भंडारण योजना के अंतर्गत 2 एकड़ भूमि पर 3000 टन क्षमता का वेयरहाउस स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है।केंद्रीय मंत्री शाह को खरगोन पैक्स के सदस्य वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि उनकी संस्था जन औषधि केंद्र का संचालन कर रही है, जहाँ बाजार मूल्य से 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। छह माह में ?8 लाख की औषधियाँ बेची गई हैं। केंद्र स्थानीय अस्पताल से मात्र 300 मीटर दूर है, जिससे लोगों को सुविधा हो रही है। उन्होंने बताया कि एक बी-फार्मा केमिस्ट को नियुक्त किया गया है और प्रचार के लिए घरों में पेम्फलेट वितरण एवं हाट में उद्घोषणा की जा रही है। मंत्री शाह ने सुझाव दिया कि गाँव में प्रचार कर लोगों को जागरूक करें कि यहाँ डायबिटीज की दवाएँ मात्र 20 प्रतिशत, बीपी की दवाएँ 10 प्रतिशत, और मौसमी बीमारियों की दवाएँ 35 प्रतिशत लागत में मिलती हैं, जिससे केंद्र की लोकप्रियता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी सराहा कि डॉक्टर अब जन औषधि की दवाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं।केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि देश में दो लाख नई पैक्स का गठन किया जाएगा, जो उत्पादन, अनाज विक्रय और ग्रामीण सेवा वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी। साथ ही, एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय तथा तीन नई डेयरी आधारित सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएंगी, जिससे सहकारिता क्षेत्र को शिक्षित, संगठित और व्यावसायिक रूप से सक्षम बनाया जा सकेगा।कार्यक्रम के समापन पर केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि पैक्स को केवल खाद या बीज वितरण तक सीमित न रखें। उन्हें खाली जमीन का उपयोग, मशीन किराये पर देना, जनऔषधि केंद्र का संचालन, और नई कृषि तकनीकों का प्रयोग करते हुए गांवों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। उन्होंने सभी सहकारी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मॉडल बायलॉज, कृषि एप्स, और नवीन योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर अपनी समिति को आर्थिक रूप से सक्षम एवं सेवा-प्रधान इकाई के रूप में विकसित करें।
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