(भोपाल)क्षेत्र की समृद्घि और किसानों की खुशहाली का आधार बनी मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- 30-Sep-25 12:00 AM
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भोपाल 30 सितंबर (आरएनएस)। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि किसानों की समृद्धि के लिए हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए प्रदेश के राजगढ़ जिले की मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजनाÓ क्षेत्र की समृद्घि और किसानों की खुशहाली का आधार बन रही है। इस अनूठी परियोजना से जहां हर खेत में पानी पहुंच रहा है, वहीं उद्योगों को पानी मिलने और पेयजल की उपलब्धता ने नए निवेश के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। इससे आम-जीवन सुखमय हो रहा है।प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क पर आधारित विश्व की अनूठी परियोजना-यह परियोजना प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क प्रणाली पर आधारित विश्व की अनूठी सिंचाई परियोजना है, जो मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पर ड्रॉप, मोर क्रॉपÓ की अवधारणा को पूरा कर रही है। न केवल भारत के विभिन्न राज्यों से अपितु विदेशों के प्रतिनिधि दल भी आकर इसका अध्ययन कर रहे हैं। परियोजना को जल-संसाधन प्रबंधन के लिए भारत सरकार का प्रतिष्ठित सीबीआईपीÓ पुरस्कार भी मिल चुका है।प्रधानमंत्री की पर ड्रॉप मोर क्रॉपÓ की अवधारणा हुई फलीभूतप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पर ड्रॉप, मोर क्रॉपÓ की अवधारणा दी. उनकी इस अवधारणा पर कार्य करते हुए हमारे इंजीनियर्स ने सिंचाई की अति आधुनिक तकनीकी प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क पर काम करना प्रारंभ किया और उसका सुपरिणाम है मोहनपुरा कुंडलिया सिंचाई परियोजनाÓ। इस सिंचाई परियोजना के माध्यम से न केवल 80त्न पानी बांध से किसानों के खेतों तक पहुंचता है, अपितु ऊंचे खेतों पर भी पानी आसानी से पहुंच जाता है. इसमें लगा स्काडाÓ (स्ष्ट्रष्ठ्र) आधारित ऑटोमेशन यह तय करता है कि फसलों की आवश्यकता के अनुसार किस क्षेत्र में कितना पानी पहुंचाना है। यह विश्व की अपनी तरह की अनूठी परियोजना है और आधुनिक युग की आवश्यकता भी, जब पानी की एक-एक बूंद का उपयोग आवश्यक है।नेवज नदी पर मोहनपुरा बांध और कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध बनाकर शुरू की गई इस परियोजना से भूमिगत पाइप से सीधे खेत तक दबाव के साथ पहुंचाती है और ऊंचाई वाले खेत में भी पानी आसानी से पहुंचता है। इसके सेंसर और ऑटोमेशन से पानी का वितरण नियंत्रित होता है। यह क्रांतिकारी सोच थी, जिसने सूखाग्रस्त राजगढ़ जिले की किस्मत बदल दी।परियोजना के अंतर्गत 26 हजार किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई है, इतनी लंबी प्रेशराइज्ड पाइप लाइन भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में एक मिसाल है। इसे जोडऩे के लिए 20 बड़े पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जो पानी को दबाव के साथ पाइप लाइन में भेजते हैं और पानी ऊंचे-नीचे खेतों तक आसानी से पहुंचता है। हर आउटलैट से लगभग एक से सवा हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है। स्काडाÓ आधारित ऑटोमेशन सिस्टम द्वारा पूरी प्रणाली को कंप्यूटर और सेंसर्स से जोड़ा गया है, जिससे कंट्रोल रूम से तय किया जा सकता है कि किस क्षेत्र को कितना पानी पहुंचाना है। केन्द्रीकृत पंपिंग प्रणाली से हर साल लगभग 69 मिलियन यूनिट बिजली की बचत होती है। इसकी एक और विशेषता यह है कि इसमें ला-राÓ नैटवर्क का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें लगभग 1.5 लाख सेंसर्स और कंट्रोलर एक साथ जोड़े गए हैं, जो सौर ऊर्जा से चलते हैं। पंपिंग स्टेशर्न में लगे वैरिएबल फ्रीकवैन्सी ड्राइव्जÓ फसलों की जरूरत और मौसम के अनुसार पानी का दबाव और मात्रा तय करते हैं। यह अत्यधिक आधुनिक सिंचाई प्रणाली आज पूरे विश्व के लिए पानी के इष्टतम उपयोग का अनूठा उदाहरण बन गई है।
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