(भोपाल)गुना की जनता ने सत्ता के महाराजाओं को सबक सिखाया : जीतू पटवारी

  • 06-Aug-25 12:00 AM

भोपाल 6 अगस्त (आरएनएस)। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि गुना की बाढ़ त्रासदी ने भाजपा सरकार की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। जिस समय गुना और आसपास के गाँव-शहर पानी में डूबे थे, लोग अपने घरों और बच्चों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय सरकार केवल कागजी कार्रवाई और मीडिया शो पर ध्यान दे रही थी।मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कल बाढ़ प्रभावित गुना का दौरा किया, लेकिन यह दौरा केवल औपचारिकता और फोटो सेशन तक ही सीमित रहा । जनता के गुस्से और विरोध के कारण सत्ता के महाराजाओं को उल्टे पांव उडऩ-खटोले से वापस लौटना पड़ा।भाजपा सरकार की संवेदनहीनताश्री पटवारी ने कहा कि—* 32 साल बाद हुई सबसे भीषण बारिश के बाद भी भाजपा सरकार ने राहत और बचाव कार्यों में गंभीरता नहीं दिखाई। जिन कॉलोनियों में पहली मंजि़ल तक पानी भर गया, वहां प्रशासन और जनप्रतिनिधि दिखाई तक नहीं दिए। मुख्यमंत्री केवल उन इलाकों में गए, जहां कोई विरोध न हो, ताकि मीडिया में सकारात्मक तस्वीरेंÓ दिखाई जा सकें।*स्थानीय नागरिकों ने बताया कि—*कई परिवारों को अब तक राहत सामग्री नहीं मिली है। न्यू सिटी कॉलोनी और पवन कॉलोनी जैसे सबसे प्रभावित क्षेत्रों को दौरे में शामिल तक नहीं किया गया। निचले इलाकों में बचाव कार्य देर से शुरू हुए, जिससे लोग घंटों तक फंसे रहे। *कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि—* 1. 24 घंटे के भीतर हर प्रभावित परिवार को तात्कालिक सहायता दी जाए। 2. बाढ़ में क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए विशेष पैकेज घोषित किया जाए। 3. जिन परिवारों के सदस्य घायल हुए या जिनकी संपत्ति नष्ट हुई, उनके लिए स्वास्थ्य और पुनर्वास योजनाएं लागू की जाएं। 4. जिला प्रशासन को निर्देशित किया जाए कि राहत कैंप, भोजन, दवाइयां और स्वच्छ पानी बिना देरी उपलब्ध कराए जाएं। *उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी—*यदि 8 दिनों के भीतर मुआवजा और राहत कार्य शुरू नहीं हुए, तो कांग्रेस इतिहास का सबसे बड़ा चक्का जाम करेगी और जनता के हक़ की लड़ाई लड़ेगी।*अंत में, श्री पटवारी ने गुना की जनता को भरोसा दिलाया कि—* कांग्रेस हर पीडि़त परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक हर परिवार को उसका हक़ और राहत नहीं मिल जाती। यह लड़ाई सिफऱ् राजनीति की नहीं, बल्कि इंसानियत की है ।




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