(भोपाल)डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की राष्ट्रवादी प्रेरणा से जन्मा ग्राम्याÓ: गांव से राष्ट्र निर्माण की यात्रा
- 07-Jul-25 12:00 AM
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भोपाल 7 जुलाई (आरएनएस)।भारत के महान राष्ट्रनायक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित होकर समाजसेवी डॉ. पंकज शुक्ला ने ग्राम्याÓ संस्था की स्थापना की है। यह संस्था ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और समृद्ध बनाने के लक्ष्य के साथ समर्पित रूप से कार्य कर रही है। ग्राम्याÓ के अध्यक्ष और सीएमडी डॉ. पंकज शुक्ला जो कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं ने कहा, डॉ. मुखर्जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक जीवंत विचारधारा के प्रतीक थे। उनके सिद्धांत हमें सिखाते हैं कि राष्ट्र की एकता, सांस्कृतिक पहचान और स्वदेशी स्वावलंबन के लिए संगठित और निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। डॉ. शुक्ला ने बताया कि ग्राम्याÓ की स्थापना ग्रामीण भारत को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से की गई है। यह संस्था गांवों में स्वरोजगार, महिला सशक्तिकरण, कृषि नवाचार, जैविक खेती, पोषण अभियान और स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित अनेक कार्यक्रम संचालित कर रही है। उनका मानना है कि डॉ. मुखर्जी का बलिदान भारत की एकता और आत्मगौरव का प्रतीक है। उसी विचारधारा को धरातल पर उतारने का प्रयास ग्राम्याÓ के माध्यम से हो रहा है। जब गांव मजबूत होंगे, तभी राष्ट्र सशक्त होगा। ग्राम्याÓ द्वारा नारी शक्ति – राष्ट्र शक्ति, स्वदेशी को सम्मान और हर गांव बने आत्मनिर्भर केंद्र जैसे राष्ट्रवादी अभियानों का संचालन किया जा रहा है। ये कार्यक्रम सेवा, संस्कार और स्वावलंबन जैसे मूल्यों पर आधारित हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणास्रोत विचारधारा से जुड़ाव रखते हैं। डॉ. शुक्ला ने कहा, डॉ. मुखर्जी के एक देश – एक विधानÓ जैसे सिद्धांतों की तर्ज पर आज जरूरत है कि भारत के हर गांव को समान अवसर और विकास का अधिकार मिले। यही आज का राष्ट्रधर्म है।डॉ. पंकज शुक्ला के नेतृत्व में ग्राम्याÓ ने राष्ट्र निर्माण को ज़मीनी स्तर पर साकार करने की दिशा में एक वैचारिक आंदोलन का रूप ले लिया है। यह मात्र एक एनजीओ नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण की पहल है जिसमें हर गांव, हर महिला और हर युवा को देश की विकास यात्रा में भागीदार बनाया जा रहा है।डॉ. शुक्ला ने कहा, डॉ. मुखर्जी की तरह हमें भी सत्ता नहीं, सेवा का मार्ग चुनना होगा। जब भारत का हर गांव जागरूक और आत्मनिर्भर बनेगा, तभी हमारा देश सच्चे अर्थों में विश्वगुरु कहलाएगा।
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