(भोपाल)दीपावली पर मंडला की आदिवासी महिलाएं रच रहीं परंपरा और रंगों का संगम

  • 06-Oct-25 12:00 AM

भोपाल 6 अक्टूबर (आरएनएस)।आदिवासी बहुल जिला मंडला में इस दीपावली पर परंपरा और कला का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। यहाँ की आदिवासी महिलाएं अपनी पारंपरिक गौड़ी चित्रकारी से मिट्टी के दीये, कलश, पूजा थाली, पोस्टकार्ड, की-रिंग, पेपर वेट और अन्य सजावटी वस्तुएं तैयार कर रही हैं, जो त्योहार की रौनक को और बढ़ा रही हैं।यह पहल हाथकरघा एवं हस्तशिल्प संचालनालय, भोपाल तथा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला पंचायत मंडला के सहयोग से, मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रेयंश कुमट एवं जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा के मार्गदर्शन में, ग्रामीण विकास एवं महिला उत्थान संस्थान द्वारा संचालित की जा रही है। विकासखण्ड इंद्री सेक्टर में चल रहा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 4 सितम्बर से 10 अक्टूबर 2025 तक आयोजित है, जिसमें 30 आदिवासी महिलाएं भाग ले रही हैं।गौड़ चित्रकारी मंडला जिले की सांस्कृतिक पहचान है। यह कला गौंड जनजाति के जीवन-दर्शन, आस्था और प्रकृति के गहरे जुड़ाव को दर्शाती है। इस परंपरागत कला को नए रूप में सहेजते हुए, जागृति उईके, निकिता उलारी, बरखा उलारी, प्रीति धुर्वे, वंदना तेकाम, सुमन मरावी, रेखा उसराठे, सुरेखा मीना, मर्सकोल ज्योति जैसी स्थानीय महिलाएं अपने हाथों से परंपरा और सृजन का सुंदर मेल प्रस्तुत कर रही हैं।दीपावली को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जा रहे गौड़ी चित्रों से सजे दीये, पूजा थालियां और कलश न केवल कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, बल्कि इन महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक प्रेरक कदम भी हैं।उत्पादों की कीमतें इस प्रकार हैं हेण्डमेड पेपर (्र3) 900 रूपये, कैनवास (्र3) 1200 रूपये, की-रिंग 90 रूपये, दीपक 10 रूपये, पेपर वेट 50 रूपये, रूमाल 100 रूपये, पोस्टकार्ड 40 रूपये है। ये सभी वस्तुएं विक्रय के लिए उपलब्ध हैं।




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