(भोपाल)नेपानगर क्षेत्र में 8 हजार वनाधिकार के पट्टे निरस्त किए गए-नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार

  • 19-Jun-25 12:00 AM

भोपाल 19 जून (आरएनएस)।प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, सीडब्ल्यूसी मेंबर कमलेश्वर पटेल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव ने संयुक्त पत्रकार वार्ता की। इस पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि अकेले बुरहानपुर जिले के नेपानगर क्षेत्र में 8 हजार वनाधिकार के पट्?टे निरस्त किए गए हैं। पूरे प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा पट्?टे निरस्त किए गए हैं। सरकार यदि 15 दिन में फैसला नहीं लेती है तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करेगी।नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कल नेपानगर क्षेत्र में हम लोग गए थे। हमने वहां देखा कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार का नियम है कि जो 40 साल से ज्यादा समय से काबिज हैं उनको वनाधिकार के पट्?टे दिए जाएंगे। लेकिन, सरकार ने तीन लाख पट्?टे खारिज कर दिए। अकेले नेपानगर क्षेत्र में आठ हजार आदिवासियों के पट्?टे खारिज कर दिए। सरकार ये जमीनों क्या बॉक्साइट वालों को देना चाहती है या कोयला, मैग्नीज वालों को देना चाहती है? अडाणी को सिंगरौली में जमीन दे दी। तो क्या ये सरकार आदिवासियों को जंगल से बाहर करना चाहती है। हम सरकार को 15 दिन की चेतावनी देते हैं यदि 15 दिन में सरकार ने नेपानगर और पूरे प्रदेश में पट्?टों के मामलों का निराकरण नहीं किया तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करेगी।नेता प्रतिपक्ष ने कहा भारतीय जनता पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में आरएसएस की विचारधारा को लेकर काम करती है। आदिवासी जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ है और प्रकृति पूजक है। आदिवासी सूर्य पूजा, पेड़, पौधों फसलों, पशु, पक्षियों की पूजा सदियों से करता आ रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों को धर्म की राजनीति में ले जाना चाहती है। हमारी पहचान जल और जंगल जमीन है। विकास के बजाय बीजेपी ने राजनीतिक धर्म की राजनीति चालू कर दी है। हर व्यक्ति अपने धर्म समाज की पूजा करता है। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी एक राजनीतिक धर्म की राजनीति करती है।नेपानगर के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र के दौरे पर हमने देखा कई सालों से आदिवासियों के पास जमीनों के पट्?टे हैं। जिनकी पीढिय़ां गुजर गई, कई लोगों के पास स्टेट टाइम के पेपर है वे दो-तीन पीढियों से वहां रह रहे हैं। पूरे प्रदेश के अंदर साढ़े छह लाख पट्?टाधारी थे। लेकिन करीब 3 लाख आदिवासियों और अन्य समाज के जिन लोगों के पास वन अधिकार के पट्?टे थे उनके पट्?टे सरकार ने खारिज कर दिए। 2006 में कांग्रेस की सरकार ये कानून लाई थी। 2018-19 में कमलनाथ सरकार ने तीन- सवा तीन लाख पट्टे बांटे थे। लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद से ही ये रोक दिए गए। बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कई वीडियो वायरल हुए उनको कोई आदिवासी कागज देता था कि ये बैगा है इनको पट्टा मिलना चाहिए। तो शिवराज जी तो गायब हो गए लेकिन आदिवासियों को अभी तक जमीन का पट्?टा नहीं मिला।नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि अब मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं। जिन्होंने आज तक आदिवासियों के वन अधिकार पट्?टों करे लेकर समीक्षा नहीं की। सरकार के मंत्री विजय शाह आदिवासी विभाग के मंत्री हैं और आदिवासियों के पट्?टों की बात नहीं करते। किस तरह से आदिवासियों को छल रहे हैं नेपानगर क्षेत्र में 8000 पट्?टे बिना कारण बताए, जो कई सालों से जमीन पर काबिज थे। वह खारिज कर दिए। 2007 का वन अधिकार नियम 12 ए 6 में स्पष्ट है कि जब आप खारिज करेंगे तो अनिवार्य रूप से आपको उसकी लिखित में बताना आवश्यक है। नेपानगर में सरकार की तरफ से पट्?टाधारी को एक नोटिस नहीं दिया। यह एक तरफा मनमानी है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा मैंने नेपानगर में आदिवासियों से पूछा कि यहां फॉरेस्ट के नीचे के कर्मचारी फॉरेस्ट गार्ड क्या करते हैं तो एक आदिवासी ने बताया कि कहते हैं 10 हजार रुपए दे दो और जंगल काट दो। एक तरफ आदिवासी मुक्ति संगठन की माधुरी बेन हैं वो जंगल अलग कटवा रही हैं। खड़े-खड़े जंगल रातों-रात मैदान बन रहे हैं। नेपानगर में सीवल के पास स्थिति बनी। जब मैं मंत्री बना था तब वहां गया था रातों-रात जंगल काट दिए गए थे। आदिवासी कभी जंगल नहीं कटता। ऐसे कौन लोग हैं जो आदिवासियों के बीच में होकर जंगल कटवा रहे हैं। सरकार और फॉरेस्ट के अधिकारी कहते हैं आदिवासी काट रहे हैं। इसपर सरकार को संज्ञान लेकर जांच कराना चाहिए।उमंग सिंघार ने कहा मैंने अधिकारियों से बात की तो वे कहते हैं कि इनके पास प्रमाण नहीं थे। इसलिए हमने इनको पट्?टा नहीं दिया। वन अधिकार अधिनियम 2007 के रूल 13 में स्पष्ट है कि गांव में वन अधिकार समिति होती है जिसमें बुजुर्ग लोग रहते हैं अगर उन्होंने कहा यह व्यक्ति यहां पर 40 साल से काबिज है तो वन अधिकार समिति, ग्राम सभा के आधार पर उसको पट्?टा मिलना चाहिए। अधिकारी और सरकार कह रहे हैं कि प्रमाण नहीं हैं। इसका मतलब है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रही है।नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा मैं कहता हूं कि अगर आपको प्रमाण चाहिए तो आप 50-60 साल पहले की सैटेलाइट इमेज क्यों नहीं निकालते। भाजपा आदिवासी क्षेत्रों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए सलेक्टेड लोगों को पट्?टे दे रही है। इससे आदिवासी समाज में आक्रोश है। वो चाहते हैं कि हम जो इतने सालों से रह रहे हैं वे कहां जाएंगे। कई लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं कई लोगों की फसलों पर ट्रैक्टर चला दिए गए मैं समझता हूं कि सरकार को इस पर तत्काल रोक लगाना चाहिए। सामुदायिक वन संसाधन अधिकारी ष्टस्न्रक्रक्र के तहत आदिवासियों को अधिकार मिलने चाहिए।नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, सिर्फ झाबुआ में पांच पट्?टे दिए गए। विधायक संजय उईके बालाघाट में पिछले 6 महीने से इस बात को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। जंगल के जो संसाधनों से आदिवासियों का जीवन चलता है इनको रोजगार के लिए जंगल नियम के अनुसार दिए जाएं। सरकार चाहती है आदिवासी जंगल से बाहर हो जाए। क्योंकि, खदानें, मिनरल्स, मैग्नीज, बॉक्साइट की खदानें इन आदिवासी क्षेत्रों में हैं। इसलिए आदिवासियों को जंगल से बाहर किया जा रहा है।




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