(भोपाल)पूर्व मुख्यमंत्री राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी की संयुक्त पत्रकार वार्ता

  • 17-Oct-24 12:00 AM

भोपाल 17 अक्टूबर (आरएनएस)। पत्रकार वार्ता के मुख्य बिंदु • देश में ष्ठ्रक्क की किल्लत सरकार की नीतियों के कारण है, वर्तमान में देश में 100 लाख टन ष्ठ्रक्क की आवश्यकता है जिसमे से देश में 4 लाख टन प्रति माह का उत्पादन होता ,इसके लिए कच्चा माल भी आयात करना पडता ,आयत में समस्या से 20 त्न करीब कम उत्पादन हुआ है बाकि लगभग 5 लाख टन ष्ठ्रक्क का आयात होता, तब जाकर हमारी आवश्यकता पूरी हो रही है।• इस बर्ष देश में अप्रैल से अगस्त तक 16 लाख टन करीब ष्ठ्रक्क आया था जबकि इसी दौरान पिछले बर्ष 32.5 लाख टन का आयात हुआ था जो 16.5 लाख टन यानी 50 त्न कम है।• मध्यप्रदेश में ष्ठ्रक्क की 9 लाख टन से ज्यादा की जरुरत है जिसके एवज में अभी तक मध्य प्रदेश में लगभग 4.5 लाख टन ष्ठ्रक्क आया है बाकि 5 से 6 लाख टन की कमी है। • अगले 15 दिन मध्य प्रदेश के किसानो के लिए बेहद महत्वपूर्ण है बड़े रकबे में बुबाई एक साथ शुरू होगी। सरकार ष्ठ्रक्क की जगह हृक्क्य डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ष्ठ्रक्क में 18 त्न नाइट्रोजन एवं 46त्न फास्फोरस होता है। यदि ष्ठ्रक्क की जगह हृक्क्य देते है तो 6 लाख टन ष्ठ्रक्क की कमी को पूरा करने के लिए 9 लाख टन हृक्क्य 12:32:16 की जरुरत रहेगी जबकि अभी तक कुल 3 लाख टन हृक्क्य आया है, पिछले साल से 1 लाख टन कम है। मतलब 350 रैक सिर्फ हृक्क्य चाहिए। • यह बात का प्रमाण है की मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री जी के जिले मुरैना में 24,500 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है। इसके मुकाबले किसानों के लिए महज 8,247 मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध है। मतलब कृषि मंत्री के क्षेत्र में 33 त्न आपूर्ति हुई है (25 सितम्बर को प्रकाशित खबर के अनुसार) जब कृषि मंत्री के क्षेत्र के ये हाल हैं तो बाकि जगह कितनी उपलब्धता हुई होगी इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।• पहले तो आयात 50त्न कम हुआ, दूसरा मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी डिमांड वास्तविक जरुरत से कम भेजी, तीसरा अग्रिम भण्डारण पिछले साल की तुलना में इस साल 3.51 लाख मीट्रिक टन डीएपी का कम हुआ। सरकार की ्रक्कष्ट की संभाग स्तर की पिछली बैठकों, कलेक्टरों के स्टेटमेंट देखिये वो सब कह रहे है की ष्ठ्रक्क की जगह दूसरे उर्वरक डाले तो सरकार बताये कि किसान कौन से उर्वरक डाले और उनकी गुणवत्ता की ग्यारंटी कौन लेगा? किसानों तो डीएपी की ही मांग कर रहे हैं।• पूर्व में खाद की उपलब्धता सहकारी समितियों के माध्यम से कराई जाती थी जिससे किसानों को उनके गाँव में गुणवत्ता युक्त शासकीय दाम पर बिना किसी परेशानी के खाद उपलब्ध होता था किन्तु भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने लोगों को उपकृत करने के लिए खाद की लगभग आधी मात्र खुले बाज़ार में विक्री की छूट दे रखी है जिससे किसानों को शहर आकर महंगे दाम में खरीदना पड़ता है, परिवहन लागत लगती है, समय खऱाब होता है। • खुले बाज़ार में विक्री से खाद के साथ अन्य सामग्री जैसे अन्य उर्वरक, कीटनाशक दवाई, टॉनिक, बीज, सल्फर, जिंक के अलावा ऐसे उत्पाद जो किसानों की आवश्यकता नहीं है उन्हें भी मजबूरन टैग करके खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। • सरकार खोखले दावा करती है कि किसानो को जीरो त्न ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएँगे मगर जब किसानो को साख समितियों से खाद नहीं मिलेगा ,नगद ऋण नहीं मिलेगा तो फिर कैसे जीरो त्न ब्याज का फायदा किसानो को मिलेगा ? अभी तो उल्टा किसान की जेब से अतितिक्त पैसा जा रहा है।• मध्यप्रदेश में रवि की फसल के लिए 22 लाख टन यूरिया की जरुरत है जबकि अभी 10-12 लाख मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता है जैसे कि अक्टूबर माह मे 4.5 लाख टन यूरिया की मांग है किन्तु 2 लाख 90 हज़ार टन ही उपलब्ध हो पाया। आगामी माह मे भी इस कमी की पूर्ति होना असंभव है जिसके कारण अगला माह भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनेगा।• सरकार द्वारा नेनो यूरिया और नेनो ष्ठ्रक्क का बड़े स्तर पर क्षेत्र मे प्रचार प्रसार दानेदार यूरिया और दानेदार ष्ठ्रक्क के विकल्प के रूप मे किया जा रहा है जबकि नेनो यूरिया और नेनो ष्ठ्रक्क का विगत वर्ष फसलों पर डालने पर वो प्रभाव नहीं देखा गया जो दानेदार यूरिया और ष्ठ्रक्क का होता है। नेनो यूरिया की एक बॉटल जो कि 500 द्वद्य की एक एकड़ के लिए पर्याप्त बताई जा रही है जिसमे 4 प्रतिशत नाइट्रोजन प्रदर्शित है मात्रा के आधार पर 20 ग्राम सक्रिय तत्व नाइट्रोजन है जिसकी कीमत 220 रुपये है जबकि एक बोरी यूरिया मे 20 किलो सक्रिय तत्व नाइट्रोजन है जिसकी कीमत 270 रुपए है इस प्रकार किसान को नेनो यूरिया का उपयोग अपने खेत मे करने पर कम मात्रा मे नाइट्रोजन तत्व कई गुना अधिक राशि मे मिल रहा है।• इस बात को इस तरह समझना चाहिए कि गेंहू के एक हेक्टयर उत्पादन हेतु 120 द्मद्द नाइट्रोजन सक्रिय तत्व की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति हेतु 6 कट्टे यानि 260 द्मद्द दानेदार यूरिया की ज़रूरत होती है जिसकी कीमत लगभग 1620 रुपए आएगी जबकि नेनो यूरिया की 120 द्मद्द नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए लगभग 6000 बोतल की ज़रूरत पड़ेगी जिसकी कीमत लाखों मे होगी। • विगत कई वर्षों से वैज्ञानिकों द्वारा फसलों पर 2 से 5 प्रतिशत यूरिया के घोल के छिड़काव की अनुशंसा की गई है जो कि प्रति एकड़ 2 द्मद्द यूरिया का छिड़काव खेतों मे करने का चलन कृषकों के बीच मे पूर्व से ही है जिसमे किसानों को केवल 12 रुपए की लागत आती है परंतु वहीं अगर 500 द्वद्य नेनो यूरिया खेतों मे छिड़काव किया जाता है जिसमे तत्व की मात्रा भी बहुत कम है साथ मे कीमत 220 रुपए है जो कि 20 गुना ज्यादा है और फसलों पर प्रभाव भी कम है।हमारे सरकार से सवाल• ष्ठ्रक्क की उपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की क्या योजना है?• क्या सरकार अन्य उर्वरकों से हृक्क्य के तत्वों की पूर्ती करना चाहती है? इसके सम्बन्ध में सरकार की क्या कार्य योजना है?• क्या अन्य उर्वरकों से पूर्ती हेतु सरकार द्वारा किसानों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया है? • सरकार द्वारा अग्रिम भण्डारण योजना के अंतर्गत यूरिया ष्ठ्रक्क का अग्रिम भण्डारण क्यों नहीं कराया गया? यदि आनन् फानन में सरकार द्वारा उर्वरकों की उपलब्धता की जाती है तो गुणवत्ता की सुनिश्चितत्ता कैसे होगी? • अगले 15 दिनों में गेंहू, चना, सरसों, आलू एवं प्याज की लगभग बुवाई हेतु किसान अपनी तैयारियों में लगा हुआ है जिसमे लगभग 90 प्रतिशत यानी लगभग 9 लाख मीट्रिक टन ष्ठ्रक्क की आवश्यकता है जिसकी समय पर पूर्ती नहीं होने पर फसलों का उत्पादन घटना तय है इसकी जवाबदेही किसकी होगी ?• मध्यप्रदेश के सभी जिलों में लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे हुए जिम्मेदार अधिकारीयों के कारण गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया प्रभावित हो चुकी है एवं नकली और अमानक आदान (खाद, बीज, दवाई) की विक्री को बढ़ावा देकर किसानों को ठगा जा रहा है सरकार ऐसे अधिकारीयों पर क्यूँ मेहरबान है ?• प्रति वर्ष रवि सीजन में 140 लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज़मीन पर फसलों की बुवाई की जाती है सरकार, कृषि विभाग एवं प्रशासन उर्वरक उपलब्धता, वितरण एवं गुण नियंत्रण व्यवस्था कराने में पूर्णत: असफल है उर्वरक की उपलब्धता करवाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है जिसमे सरकार पूर्णत: असफल रही है जिन किसानों के बल पर प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण्य पुरूस्कार मिला उन्ही किसानों द्वारा खाद मांगने पर उन पर लाठियां क्यों बरसाई जा रही हैं? • नेनो यूरिया और नेनो ष्ठ्रक्क आदि को किसी भी उर्वरक के साथ जबर्दस्ती नहीं बेचा जा सकता है ऐसा आदेश भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है क्या कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के आदेश को धता बताते हुए नेनो यूरिया और नेनो ष्ठ्रक्क बेचने को उतारू है? हमारी मांग• मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से ष्ठ्रक्क और जरुरी उर्वरको की स्पेशल डिमांड करे।• प्रदेश के कृषि सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त को दिल्ली में उर्वरक उपलब्ध नही होने तक तैनात करे.ताकि समय से उर्वरक की व्यवस्था की जा सके।• जिन क्षेत्रो में बुबाई पहले हो रही है वहा खाद की व्यवस्था पहले कराए. • रैक प्रबंधन एवं हैंडलिंग को बढ़ाये ,ट्रांसपोर्टर्स बढ़ाये ताकि खाद को गाँवो / समितियों तक परिवहन किया जा सके।• केंद्र सरकार का आदेश की किसी भी उर्वरक पर टैगिंग तुरंत रोके फिर भी मध्य प्रदेश में सभी जगह उर्वरको के साथ टैगिंग खुलेआम चल रही है: .• उर्वरक का लाइव स्टॉक जिले स्तर डिस्प्ले किया जाए ताकि किसानो को उलब्धता की जानकारी रहे।• उर्वरको के मूल्यों को कंट्रोल करने के लिए उर्वरक खरीदी केन्द्रों पर एक एक अधिकारी नियुक्त किए जाए ताकि किसानो से कोई भी अधिक मूल्य की वसूली ना करे।• जिन किसानो को उर्वरक नहीं मिल रहा है ,उनको होने वाले उत्पादन नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए।• अमानक और नकली उर्वरक रोकने के लिए सभी स्स्क्क/हृक्क्य कम्पनियों के स्पेशल 10-10 नमूने हमारे और मिडिया के सामने लाइव टेस्ट कराए जाए , क्योकि मध्य प्रदेश में स्स्क्क की गुणवत्ता पर कई प्रशन है ,आगर सरकार का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नही है तो हम सबके सामने जाँच कराए।• केंद्र सरकार द्वारा जितने भी स्स्क्क के नमूने गोदाम और फैक्ट्री से लिए गए उनमे से अधिकांश के रिजल्ट अमानक आये मगर राज्य सरकार की लैब में मानक कैसे आते है? इसकी जाँच के लिए कमेटी बनाई जाए।• मूल्य के लिए निगरानी समिति का गठन हो, जिसमे किसान नेताओ को प्राथमिकता के साथ रखा जाए।




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