(भोपाल)बीएमएचआरसी में कैंसर पीडि़त की सर्जरी कर महाधमनी से चिपके ट्यूमर को निकाला

  • 10-Jun-25 12:00 AM

भोपाल 10 जून (आरएनएस)। भोपाल के गैस पीडि़त 58 साल के कैंसर रोगी एक साल से किडनी से 10 गुना बड़े ट्यूमर के साथ कठिन जीवन जी रहे थे। उन्हें अपनी बीमारी का आभास अब तक नहीं था। उनका पेट बांई ओर से फूलता जा रहा था। कई बार दर्द भी होता था, ऐसे में वे पेन किलर खा लेते थे। धीरे-धीरे लक्षण गंभीर होते गए और यूरिन से खून आना शुरू हो गया।जिसके बाद वे इलाज के लिए भोपाल मेमोरियल अस्पताल (बीएमएचआरसी) पहुंचे। जांच में ट्यूमर की पुष्टि हुई। जो किडनी और उसकी नसों व महाधमनी से चिपका हुआ था। यह कैंसरग्रस्त भी था। इन कारणों से यह सर्जरी बेहद जटिल थी, जिसे बीएमएचआरसी के डॉक्टरों द्वारा सफलता पूर्वक पूरा किया है।डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने अपने पूरे करियर में कभी भी किडनी का इतना बड़ा ट्यूमर नहीं देखा। मरीज की हालत में अब काफी सुधार है और उन्हें बुधवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।बीएमएचआरसी के कैंसर सर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनवीर गौतम ने बताया कि सामान्य किडनी का आकार 9 बाय 3 सेंटीमीटर होता है, लेकिन ट्यूमर की वजह से कैंसर की वजह से किडनी 22 बाय 18 सेमी की हो गई थी।यह ट्यूमर हार्ट से शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त का संचार करने वाली महाधमनी और अन्य नसों से चिपक गया था, जिसकी वजह से ऑपरेशन के दौरान नस के फटने और अधिक ब्लीडिंग का खतरा बना हुआ था। उन्होंने बताया कि कैंसर पेट में मौजूद लिम्फ नोड्स में भी फैल गया था। इन लिम्फ नोड्स को भी निकाल दिया, जिससे भविष्य में कैंसर के दोबारा होने की आशंका भी खत्म हो गई है।एनेस्थीसिया विभाग में प्रोफेसर डॉ. सारिका कटियार ने बताया कि मरीज को अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान हार्ट अटैक आया था, जिसका इलाज भी किया गया। इसकी वजह से मरीज को खून पतला करने की दवाएं चल रही थीं। ये दवाएं शरीर में खून का थक्का जमने से रोकने का काम करती हैं। ऐसे में अधिक ब्लीडिंग होने पर स्थिति को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो सकता था, लेकिन हमारी कुशल टीम ने ऐसी किसी भी आशंका को नकार दिया।डॉ. गौतम ने बताया कि मरीज बीते 15 सालों से बीड़ी पीते थे। साथ ही गुटखा भी चबाते थे। तंबाकू और धूम्रपान किडनी के कैंसर का एक बड़ा कारण है। इसी वजह से ऐसा लगता है कि मरीज को बीड़ी पीने से यह बीमारी हुई। मरीज अभी वार्ड में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि संकल्प लिया है कि वे अब भविष्य में कभी भी बीड़ी, सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाएंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी धूम्रपान छोडऩे के लिए प्रेरित करेंगे।बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि यह केस एक चेतावनी है कि शरीर में होने वाली किसी भी असामान्य परेशानी या बदलाव को हल्के में न लें। लंबे समय तक ट्यूमर शरीर में रहने के बावजूद मरीज को गंभीरता का आभास नहीं था। यदि समय रहते जांच नहीं कराई जाती, तो स्थिति और भी जटिल हो सकती थी। कैंसर जैसी बीमारी का समय पर पता चलना और इलाज शुरू होना जीवन रक्षक साबित हो सकता है।




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