(भोपाल)भारतीय दर्शन में सौन्दर्यशास्त्र की विशिष्ट व्याख्या-प्रो. सच्चिदानन्द मिश्र

  • 05-Dec-23 12:00 AM

भोपाल 5 दिसंबर (आरएनएस)। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर में दस दिवसीय नाट्यशास्त्र कार्यशाला का शुभारंभ मंगलवार को किया गया। भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद मिश्र, मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व कुलपति राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोपाल परिसर के निदेशक प्रोफेसर रमाकान्त पाण्डेय ने की।प्रोफेसर रमाकान्त पाण्डेय ने कहा कि यह अत्यन्त ही गर्व का विषय है की नाट्यशास्त्र के विश्वप्रसिध्द विद्वान प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी भोपाल में निवास करते है। भोपाल परिसर नाट्यशास्त्र में शोध-विश्लेषण तथा आधुनिक समय में इसके प्रयोगों को निष्पादित करने में प्रोफेसर त्रिपाठी का सहयोग सदैव मिलता रहता है। मुख्य वक्ता प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी ने भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को अत्यंत ही दुर्लभ ग्रन्थ बताया। उन्होंने कहा कि ग्रन्थ के एक-एक पद में कलात्मकता का भंडार है, आवश्यकता है इसे समझ कर प्रयोग करने की।मुख्य अतिथि प्रोफेसर सच्चिदानन्द मिश्र ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय दर्शन में सौन्दर्यशास्त्र की विशिष्ट व्याख्या होती है। जिसमें सौन्दर्य के अंदरुनी व बाहरी सभी पक्षों को समान महत्व दिया जाता है। सत्र के आरम्भ में प्रोफेसर सुज्ञान कुमार महान्ति ने कार्यशाला की प्रस्तावना देते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। सत्र का संचालन आयुष दीक्षित ने किया। और कार्यशाला संयोजक प्रोफेसर सुज्ञान कुमार महान्ति ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।




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