(भोपाल)मध्यप्रदेश में स्टोन क्रशर कारोबारियों की आज से हड़ताल

  • 09-Jun-25 12:00 AM

भोपाल 9 जून (आरएनएस)।मध्यप्रदेश के स्टोन क्रशर संचालक मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। वे रॉयल्टी, वृद्धि, स्टाम्प ड्यूटी, सीमांकन प्रोसेस, पर्यावरण स्वीकृति में सुधार जैसे मुद्दों को लेकर हड़ताल पर जा रहे हैं। हालांकि, इंदौर, भोपाल समेत 10 जिलों में हड़ताल पर पहले ही जा चुके हैं। द स्टोन क्रशर ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेंद्रपाल सिंह चावला ने बताया, मंगलवार से पूरे प्रदेश के क्रशर संचालक हड़ताल पर चले जाएंगे।इसे लेकर आईएसबीटी स्थित एक होटल में सोमवार को प्रदेशभर के क्रशर संचालकों की मीटिंग भी हुई। जिसमें सभी ने एकमत होकर हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। अध्यक्ष चावला ने बताया, हड़ताल में पूरे प्रदेश के क्रशर संचालक शामिल होंगे। कहीं भी काम नहीं होगा।इंदौर, भोपाल, धार, देवास, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा, बुरहानपुर, आगर-मालवा, शाजापुर समेत कई जिलों में एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन उत्पादन और विक्रय बंद कर दिया है। एसोसिएशन के महासचिव आलोक गोस्वामी ने बताया कि सरकार को क्रशर संचालकों से जुड़ी समस्याओं को जल्द दूर करना चाहिए। इससे न केवल पट्?टेदारों को राहत मिलेगी, बल्कि शासन को भी राजस्व की हानि से बचाया जा सकेगा। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जफर मोहम्मद खान, केशन पचौरी, हरितपाल सिंह, सचिव अभिषेक अग्रवाल भी मौजूद थे।एसोसिएशन ने मांग की है कि रॉयल्टी वृद्धि और स्टाम्प ड्यूटी में संशोधन किए जाए। यदि कोई पट्?टेदार माइनिंग प्लान में रॉयल्टी की मात्रा बढ़ाना चाहता है तो उसे शीघ्र स्वीकृति दी जाए। वर्तमान में स्टाम्प ड्यूटी उत्पादन क्षमता के अनुमानित मूल्य पर निर्धारित की जाती है, जो अनुचित है, क्योंकि उत्पादन की मात्रा हमेशा अनुमानित होती है। स्टाम्प ड्यूटी की गणना भूमि के शासन द्वारा निर्धारित वर्तमान मूल्य पर की जाए। जिससे पट्?टेदार को रॉयल्टी प्राप्त हो और शासन को भी राजस्व का लाभ मिल सके।एसोसिएशन के अध्यक्ष चावला ने बताया कि सीमांकन प्रक्रिया में भी सुधार किया जाए। राजस्व विभाग सैटेलाइट सर्वे के जरिए भूमि का सीमांकन कर रहा है, जबकि पूर्व में यह कार्य पटवारी द्वारा चेन सर्वे से किया जाता था। इससे खदान की वास्तविक स्थिति में अंतर आ जाता है और पट्?टेदारों पर अवैध उत्खनन का प्रकरण बन जाता है। जिससे उन पर दंड लगाया जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए राजस्व और खनिज विभाग का संयुक्त अभियान चलाया जाए। जिससे पट्?टेदारों को नियमानुसार उत्खनन करने का अवसर मिले और शासन के राजस्व में वृद्धि हो सके।एसोसिएशन के महासचिव गोस्वामी ने बताया कि पर्यावरण स्वीकृति में सुधार भी किया जाए। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 9 सितंबर-23 के लेजिस्लेटिव ऑर्डर और एसओपी का मध्यप्रदेश में सही पालन नहीं हुआ है। जिससे कई खदानों को पर्यावरण की मंजूरी नहीं मिल रही है।पदाधिकारियों ने बताया कि रॉयल्टी क्लियरेंस प्रक्रिया में सुधार और प्रदूषण मंडल से एनओसी प्रक्रिया में बदलाव किया जाए। वहीं, पूर्व में स्वीकृत खदानों पर नए नियमों का प्रभाव न डाला जाए।जानकारी के अनुसार, प्रदेश में गिट्?टी-मुरम का एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होता है। प्रदेश में करीब 2 हजार क्रशर है। सरकार को रोज 2 से 3 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हो रही है। हड़ताल से कारोबार से जुड़े 1 लाख से अधिक लोगों पर असर पड़ेगा। वहीं, निर्माण कार्यों भी पेंडिंग होंगे।




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