(भोपाल)मुख्य सचिव ने ही मंत्री की जाँच के लिए प्रमुख सचिव को मार्क की थी शिकायत
- 01-Jul-25 12:00 AM
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भोपाल 1 जुलाई (आरएनएस)। मुख्य सचिव कार्यालय से आगे चली शिकायत से मचा हड़कंप सीएस कार्यालय से चले पत्र को पीएस ने बढ़ाया ईएनसी को रामानंद तिवारी भोपाल। मध्य प्रदेश की पीएचई मंत्री संपत्तियां उइके के खिलाफ जल जीवन मिशन में दिए गए 30 हजार करोड रुपए के व्यय की जांच करने तथा लोग स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में विभागीय मंत्री संपतिया उईके तथा उनके लिए पैसा एकत्रित करने वाले कार्यपालन यंत्री मंडला की संपत्तियों की जांच करने बाबत शिकायत से प्रदेश सरकार में हड़कंप मच गया है। पीएमओ कार्यालय से मुख्य सचिव कार्यालय पहुंची जांच किये जाने वाले लेटर के मार्क होते ही प्रमुख सचिव सहित अन्य अधीनस्थों ने शिकायत को आगे मार्क कर दिया, जिससे ई एनसी द्वारा जांच रिपोर्ट तलब करने से प्रदेश सरकार में हड़कंप की स्थिति बन गई। हालांकि अन्य जांच एजेंसियों ने शिकायत को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। लेकिन मुख्य सचिव कार्यालय के द्वारा पीएमओ कार्यालय से मिले उक्त पत्र को जांच के दायरे में लिया गया जिससे प्रदेश सरकार की किरकिरी भी हुई। सबसे दिलचस्प पहलू यह है पीएमओ कार्यालय से चले पत्र को आनन फानन सीएस कार्यालय ने पीएस, यूएस एवं ईएनसी को भेज कर रिपोर्ट तलब की। अब उक्त मामला सरकार की गले की फांस बन चुका है। अब इसे मुख्य सचिव कार्यालय की चूक कहा जाए अथवा विभाग के प्रमुख सचिव सहित ईएनसी की नादानी। बहरहाल अफसरों की जल्दबाजी की वजह से सरकार की भद्द पिटने में अफसरों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। देखिए आगे आगे होता हे क्या। गौरतलब है कि किशोर समरिते ने शिकायत दर्ज कराते हुए पत्र में लिखा है कि भारत सरकार द्वारा तेलगांना राज्य एवं दिल्ली राज्य में शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निर्देशालय तथा सीबी.आई. से करवायी गयी किंतु म.प्र. में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में जल जीवन मिशन में भारत सरकार द्वारा दिये गये 30 करोड़ रूपये मंत्री, अधिकारी तथा ठेकेदारों द्वारा दुरूपयोग कर लिया गया। इस मामले की जांच भारत सरकार द्वारा नहीं की जा रही है। म.प्र.शासन की विभागीय मंत्री सम्पतिया उइ?के एक हजार करोड़ रूपये इस योजना में कमीशन लिया तथा बड़ी राशि कार्यपालन यंत्री मण्डला भास्कर के माध्यम से ली गयी। विभागीय मंत्री के अलावा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता बी. के. सोनगरिया द्वारा इस योजना में ठेकेदारों से भारी कमीशन अपने एकाऊंटेंट महेन्द्र खारे के माध्यम से लिया गया। यह राशि लगभग 2000 करोड़ की है। इसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में नियम विरुद्ध बनाये गये पीआईयू तथा जल निगम में डीजे एवं एक-एक अभियंताओं ने एक-एक हजार करोड़ रूपये कमीशन लिया। इन सभी का सी.बी.आई. जांच में नार्को टेस्ट करवाने पर स्वयं ही अपराध स्वीकार करेंगे। न.प्र. के सनी 52 जिलों 0 के 27 हजार ग्रामों में जल जीवन निशान घर-घर नल कनेक्शन देकर पानी पहुँचाने में पूर्णत: असफल हैं। बैतूल जिले में कार्यपालन यंत्री द्वारा 150 वारोड के बिना कार्य कराये आहरण कर लिया गया है। यही स्थिति छिंदवाड़ा एवं बालाघाट की भी है। मुख्य अभियंता मैकेनिकल द्वारा 2200 टेण्डरों पर कार्य ही नहीं करवाया एवं राशि आहरण कर ली। भारत में बिहार के चारा घोटाला, तेलंगाना के शराब घोटाला, दिल्ली का शराब घोटाला के बाद मप्र में जल जीवन निशन बड़ा घोटाला है। इस योजना में 7 हजार कार्यपूर्णता एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र भारत सरकार को पूर्णत: फर्जी प्रेषित किये गये हैं जिन्हें अविलंब जप्त कर जांच प्रारंभ करनी चाहिये।अत: इस मामले की सी.बी.आई. से जांच करवाने का कष्ट करें।
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