(भोपाल)राज्य में पहली बार वैज्ञानिक पद्धति से हुआ जल संरचनाओं के निर्माण स्थलों का चयन

  • 13-Jun-25 12:00 AM

भोपाल 13 जून (आरएनएस)।पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से महाराष्ट्र सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के छह सदस्यीय दल ने शुक्रवार को उनके शासकीय निवास पर मुलाकात की। इस अवसर पर वर्षा जल के संचयन और भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए किए जा सकने वाले प्रयासों पर विस्तृत चर्चा हुई। महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने इस दौरान मध्यप्रदेश में वर्षा जल और भूजल प्रबंधन को लेकर किए जा रहे कार्यों और नवाचारों की सराहना की। खासतौर पर दल ने जल गंगा संवर्धन अभियान और सिपरी सॉफ्टवेयर की प्रशंसा की। इस अवसर पर मनरेगा आयुक्त-संचालक वाटरशेड मिशन अवि प्रसाद, महाराष्ट्र सरकार के वाटरशेड विभाग के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी कमलाकर रणदिवे, अवर सचिव मृदा एवं संरक्षण विभाग देवेन्द्र भामरे, प्रकाश पाटिल, क्षेत्रीय जल संरक्षण अधिकारी दिलीप निपाने, जीआईएस विशेषज्ञ अमोल विधाते और असिस्टेंट इंजीनियर अविनाश देवपारे शामिल रहे।जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत मध्यप्रदेश मनरेगा परिषद द्वारा किए गए नवाचारों का अध्ययन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार का यह छह सदस्यीय दल 12 जून को दो दिवसीय दौरे पर भोपाल आया। दल के सदस्यों ने फील्ड में जाकर सिपरी सॉफ्टवेयर के माध्यम से चिन्हित किए गए खेत तालाब और अमृत सरोवरों के निर्माण स्थलों का अवलोकन किया। उन्होंने सिपरी सॉफ्टवेयर के कार्य को गहराई से देखा और उसकी तकनीकी कार्यप्रणाली की सराहना की। यह पहला अवसर है जब मध्यप्रदेश में सॉफ्टवेयर की मदद से वैज्ञानिक पद्धति से खेत तालाब और अमृत सरोवरों के निर्माण स्थलों का चयन किया गया।भोपाल आगमन के पश्चात दल ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी और मनरेगा आयुक्त-संचालक वाटरशेड मिशन अवि प्रसाद से पृथक से भेंट कर विस्तृत चर्चा की। पहले दिन 12 जून को अधिकारियों ने भोपाल जिले की जनपद पंचायत बैरसिया की ग्राम पंचायत गुनगा एवं जैतपुर का भ्रमण किया, जहां उन्होंने सिपरी सॉफ्टवेयर से चिन्हित खेत तालाब और अमृत सरोवरों के निर्माण स्थल देखे। इस दौरान उन्होंने हितग्रहियों से चर्चा भी की। शुक्रवार को दल ने रायसेन जिले के सांची विकासखंड का भ्रमण किया और वहां भी सिपरी सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली को देखा व आवश्यक जानकारियां प्राप्त कीं।विकास भवन में एमपीएसईडीसी और इसके नॉलेज पार्टनर संस्थाओं के विषय विशेषज्ञों ने प्रजेंटेशन के माध्यम से महाराष्ट्र से आए अधिकारियों को सिपरी सॉफ्टवेयर की तकनीकी जानकारी दी।साथ ही मनरेगा परिषद के अधिकारियों ने प्लानर सॉफ्टवेयर और एरिया ऑफिसर ऐप के बारे में भी दल को अवगत कराया। यह जानकारी इस बात पर केंद्रित थी कि ये तकनीकी उपकरण किस प्रकार कार्य को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाते हैं।क्या है सिपरी सॉफ्टवेयर और प्लानर ऐप-सिपरी (स्शद्घह्ल2ड्डह्म्द्ग द्घशह्म् ढ्ढस्रद्गठ्ठह्लद्बद्घद्बष्ड्डह्लद्बशठ्ठ ड्डठ्ठस्र क्कद्यड्डठ्ठठ्ठद्बठ्ठद्द शद्घ क्रह्वह्म्ड्डद्य ढ्ढठ्ठद्घह्म्ड्डह्यह्लह्म्ह्वष्ह्लह्वह्म्द्ग) एक उन्नत तकनीकी सॉफ्टवेयर है, जिसे महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल द्वारा एमपीएसईडीसी और इसरो के सहयोग से विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण हेतु उपयुक्त स्थलों की सटीक पहचान कर गुणवत्तापूर्ण संरचनाओं का निर्माण सुनिश्चित करना है। यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (त्रढ्ढस्) आधारित वैज्ञानिक पद्धतियों से कार्य करता है। वहीं प्लानर ऐप मनरेगा परिषद द्वारा विकसित एक डिजिटल उपकरण है जिसका उद्देश्य ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा कार्यों की वार्षिक कार्ययोजना को सरलता से तैयार करना है। यह ऐप मनरेगा के उद्देश्यों और प्रावधानों के अनुपालन को भी सुनिश्चित करता है। इस तरह की पहल करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत बारिश की हर बूंद का संचयन सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसका समापन 30 जून को होगा। अभियान के अंतर्गत सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से प्रदेशभर में 79,815 खेत तालाब, 1,254 अमृत सरोवर और 1,03,900 कूप रिचार्ज पिट चिन्हित किए गए हैं, जिन पर निर्माण कार्य प्रगति पर है।अब तक 2 लाख 30 हजार से अधिक जलदूतों ने स्वयं को पंजीकृत किया है, जो इस अभियान को धरातल पर सफल बनाने में जुटे हुए हैं।




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