(भोपाल)रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को जन-जन का उत्सव बनाने पर प्रदेश प्रवक्ता ने जताया जनता का आभार
- 23-Jan-24 12:00 AM
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-जनता के उत्साह और जोश ने दिया कांग्रेस के कुतर्कों का जवाबभोपाल 23 जनवरी (आरएनएस)। कांग्रेस और विपक्षी दलों के वो नेता जो निमंत्रण मिलने के बावजूद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं हुए, वास्तव में कभी यह नहीं चाहते थे कि अयोध्या में जन्मभूमि पर भगवान श्रीराम का मंदिर बने और पूरे ठाठ-बाट के साथ रामलला उसमें विराजमान हों। अपनी इस सोच को जनता से छुपाने के लिए वो तरह-तरह के झूठ बोल रहे थे, कुतर्क कर रहे थे। लेकिन देश और प्रदेश की जनता ने प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रति जो जोश और उत्साह दिखाया है, उससे कांग्रेसियों के इस झूठ की कलई खुल गई है और सारे कुतर्कों को जवाब मिल गया है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री गोविन्द मालू ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को जन-जन का उत्सव बनाने के लिए देश और प्रदेश की जनता के प्रति आभार जताते हुए कही। श्री गोविन्द मालू ने कहा कि कांग्रेसियों, वामपंथियों और अन्य विपक्षी नेताओं ने समूचे राम मंदिर आंदोलन के दौरान रामभक्तों के पक्ष को कमजोर करने की साजिशें रचीं। सबसे पहले इन दलों और इनके नेताओं ने मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने पर सहमत हो रहे मुस्लिम पक्ष को भड़काकर विवाद पैदा किया। फिर न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान वामपंथी इतिहासकारों ने इस बात की भरपूर कोशिश की, कि किसी तरह यह बताया जा सके कि विवादित ढांचा भगवान राम का जन्मस्थान नहीं है। जब दाल नहीं गली, तो वकील का चोला ओढ़कर इन्हीं विपक्षी नेताओं ने इस मामले की सुनवाई को टालने के भरसक प्रयास किए। आखिरकार सबसे बड़ी अदालत का फैसला सच्चाई के पक्ष में आया और फैसला आते ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनभावनाओं के अनुरूप भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने का उपक्रम शुरू कर दिया। कम समय के बावजूद जिस सुंदरता और भव्यता के साथ प्रभु श्री राम का मंदिर बनाया गया, वह कुशल प्रबंधन की मिसाल बन गया है। मंदिर के साथ ही अयोध्या नगरी के विकास के लिए भी निरंतर प्रयास किए गए, ताकि यह पुरातन नगर देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत कर सके। श्री गोविन्द मालू ने कहा कि 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय किया गया, जिसके लिए कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं को भी निमंत्रण दिये गए। लेकिन वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति में अंधे हो चुके इन नेताओं के लिए तो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिल पर सांप लोटने जैसा अनुभव था। लगातार प्रभु श्रीराम का विरोध करने वाले कांग्रेसियों में इतना नैतिक साहस ही नहीं बचा था कि वे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनें। इसीलिए उन्होंने यह कुतर्क करने शुरू कर दिये थे कि यह समारोह तो आरएसएस, भाजपा और विहिप का समारोह है। लेकिन जिस तरह से श्रद्धा, भक्ति, उत्साह और सौहाद्र्र के साथ देश-प्रदेश की जनता ने इस समारोह को मनाया, उससे यह साफ हो गया है कि भगवान राम हर भारतीय के हृदय में बसे हैं और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा किसी दल का नहीं, बल्कि जन-जन का समारोह था।
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