(भोपाल)विमुक्त घुमंतू दिवस पर उत्साह और गरिमा के साथ हुआ आयोजन
- 01-Sep-25 12:00 AM
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भोपाल 1 सितंबर (आरएनएस)।भोपाल के गांधीनगर स्थित बालक छात्रावास में विमुक्त घुमंतू दिवस उत्साह और गरिमामय वातावरण में मनाया गया। यह आयोजन सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम होने के साथ-साथ विमुक्त एवं घुमंतू समाज की पहचान, संघर्ष और उनके उत्थान की दिशा में समाज तथा शासन की भूमिका पर गंभीर विमर्श का अवसर साबित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे के समक्ष पुष्प अर्पण से हुआ।इस अवसर पर प्रमुख अतिथियों में विजय तिवारी, हेमराज नायक, भारत सिंह सोलंकी, बाबूलाल बंजारा, रमेश सरदार, विनोद शर्मा, संजय, मुस्कान संस्था से अजय कुमार और संवेदना समिति से आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे।सहायक संचालक कार्यालय के संजय श्रीवास्तव और योगेश सक्सेना ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए विमुक्त एवं घुमंतू समाज के सामाजिक योगदान पर प्रकाश डाला और बताया कि यह समाज भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। सहायक संचालक योगेंद्रराज ने विद्यार्थियों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी और शिक्षा को समाज के उत्थान की सबसे बड़ी कुंजी बताया।बालक छात्रावास के विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीत, कविताएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। वक्ताओं ने विमुक्त एवं घुमंतू समाज की ऐतिहासिक यात्रा, चुनौतियों और वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह समाज लंबे समय तक अपराधी जातिÓ के कलंक से जूझता रहा, किंतु अब शिक्षा और अवसर के माध्यम से नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर सकता है। अतिथियों ने विद्यार्थियों को मेहनत और लगन से पढ़ाई करने, समाज सुधार में सक्रिय भूमिका निभाने और आधुनिक तकनीक अपनाने का संदेश दिया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को शासन की योजनाओं से संबंधित पुस्तिकाएँ वितरित की गईं और समाज की महान विभूतियों तथा स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की जानकारी दी गई।समापन सत्र में आयोजन प्रभारी शाहीद ने कहा कि इस आयोजन की सार्थकता तभी होगी जब समाज के बच्चों को शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित हो। विमुक्त घुमंतू दिवस न केवल औपचारिक उत्सव रहा बल्कि समाज की शक्ति, संघर्ष, संभावनाओं और भविष्य की दिशा को रेखांकित करने वाला प्रेरणादायी आयोजन सिद्ध हुआ। इसने यह संदेश दिया कि जब समाज और शासन मिलकर आगे बढ़ते हैं, तब कोई भी बाधा विकास की राह में रुकावट नहीं बन सकती।
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