(भोपाल)सनातन में लिव-इन स्वीकार्य नहींÓ-साध्वी प्रज्ञा
- 07-Sep-25 12:00 AM
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भोपाल 7 सितंबर (आरएनएस)। राजधानी भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने वृंदावन के गौरी गोपाल आश्रम पहुंचकर प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात की। उन्होंने अनिरुद्धाचार्य महाराज के लिव-इन में रहने को लेकर दिए बयान पर समर्थन किया और कहा कि सनातन धर्म में लिव-इन स्वीकार्य नहीं है।साध्वी प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य से कहा कि मैं मानती हूं कि आपने जो कहा, वह समाज की स्थिति को स्पष्ट करता है। आपने अपनी बात आत्मविश्वास से कही है। आपने कोई बात मन से नहीं बनाई, मैं आपकी बात का समर्थन करती हूं। जब समाज में ऐसे परिदृश्य बढऩे लगते हैं, तो दुराचार की घटनाएं भी बढ़ती हैं। माता-पिता बच्चों को मर्यादा और संस्कार नहीं सिखा पाते। नतीजा यह होता है कि जब लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाती हैं, तो कई बार वे अर्धनग्न दिखाई देती हैं। माताओं को बेटियों को मर्यादा सिखानी चाहिए, लेकिन साथ ही बेटों को भी यह शिक्षा दी जानी चाहिए।साध्वी ठाकुर ने कहा कि बेटों से भी पूछा जाना चाहिए कि वे कितने बजे घर आएंगे, जैसे कि बेटियों से पूछा जाता है। घर लौटने का समय एक अनुशासन है, जिसे सभी को मानना चाहिए। जो नियम घर में बनाए गए हैं, उनका पालन जरूरी है। अगर माताएं-बेटियां और पिता-बेटों को नहीं सिखाएंगे तो समाज में फैल रही विकृति और बढ़ती पाश्चात्य सोच के कारण रिश्तों की पहचान तक मुश्किल हो जाएगी।अनिरुद्धाचार्य ने बीच में कहा लिव-इन। तो उस पर साध्वी प्रज्ञा जो भी हो, हमारे शब्दों की एक मर्यादा है। भले ही कोर्ट कुछ भी कहे, लेकिन ऐसी बातें सनातन धर्म में स्वीकार्य नहीं हैं, इसलिए हम उनका विरोध करते हैं।साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से बातचीत में कहा कि संयुक्त परिवार की परंपरा केवल भारत में ही है और कहीं है ही नहीं। बड़े सुगठित, संस्कारित, सम्मिलित परिवार गुजरात में इसके अच्छे उदाहरण हैं। जहां अधिकतर परिवार संयुक्त रूप से रहते हैं। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कुछ उदाहरण हैं, लेकिन कई राज्य इस मामले में पिछड़े हैं, जहां लोग अकेले रहना पसंद करते हैं। संयुक्त परिवार न केवल हमारी संस्कृति को संजोता है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में भी सहायक होता है।साध्वी की बात पर समर्थन करते हुए अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि बेटा हो या बेटी, सभी को पढ़ाना चाहिए, लेकिन साथ ही मर्यादा का पालन करना भी सिखाना चाहिए। हम राम के उपासक हैं और श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं। ऐसे राम के देश में सभी को मर्यादित आचरण करना चाहिए। जब हम मर्यादा में रहेंगे, तभी सुरक्षित भी रह पाएंगे।
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