(भोपाल)सरकार जीएसटी की स्लैब तीन की जगह दो बताकर जनता को कर रही गुमराह इंजी नवीन कुमार अग्रवाल
- 07-Sep-25 12:00 AM
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नीमच/भोपाल 7 सितंबर (आरएनएस)। जुलाई 2017 में जीएसटी लागु किया गया था तब भी जीएसटी का विरोध हुआ था जिसकी प्रमाणिकता यह है की जीएसटी की तमाम बैठकों में अभी तक सेकड़ो संशोधन हो चुके है फिर भी 8 वर्ष निकल जाने पर भी वित्त मंत्री और भाजपा सरकार युक्तिसंगत जीएसटी का ढांचा नहीं बना पा रही है तो आम जनता की तो बात करना भी बेमानी है की वो विश्व में सबसे ज्यादा टैक्स लेने वाले इस सिस्टम को समज पाएंगी। और अभी वर्तमान में सरकार जब सभी और से बैकफुट पर नजर आ रही है और दिन प्रतिदिन देश की जनता पर चढ़ा भाजपा सरकार का चस्मा उतर रहा है तो देश की जनता के साथ जीएसटी के माध्यम से छलावा किया जा रहा है की हमने टैक्स रेट कम कर जनता को राहत दी है और मात्र दो स्लैब बनाई है जबकि वर्तमान में अभी भी जनता के ऊपर तीन स्लैब लगाई गई है जिसका कोईभी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि या सरकार द्वारा उल्लेख नहीं किया जा रहा है मात्र 5त्न और 18त्न की बात कर वाहवाही लूटी जा रही है जबकि सरकार ने 28त्न की दर को बढ़ाकर 40 त्न नई दर की स्लैब लगाई गई है उसका कोई वर्णन नहीं किया जा रहा है उसी प्रकार से पेट्रोल डिजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है जिससे की आम जनता को कोई भी फायदा मिलता नजर आ रहा है साथ ही किस प्रकार से मूल्यों पर नियंत्रण किया जावेंगा उसका कोई रोडमैप जारी नहीं किया गया है जिसकी प्रमाणिकता सीमेंट कंपनियों द्वारा जीएसटी से होने वाले मूल्य में कमी से पूर्व ही सीमेंट के बेसिक रेट में 35 रूपये की बढ़ोतरी कर दी गई जिसका सीधा सीधा फायदा औद्योगिक घरानो को मिलने वाला है जनता को नहीं। भाजपा सरकार पर उक्त कटाक्ष करते हुए आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता इंजी नवीन कुमार अग्रवाल ने जानकारी में बताया की वर्तमान में जो दरे जीएसटी की बनाई गई है उससे आम जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है। जिसे विस्तृत रूप से समझा जा सकता हैसरकार की आय का मुख्य स्त्रोत सर्विस पर लगने वाला जीएसटी है और उसमे कोई भी बदलाव नहीं किया गया है जो की 2017 से पूर्व 5 प्रतिशत एवं 12 प्रतिशत था उसे यथावत 2017 से 18 त्न ही रखा गया है , जबकि अगर वास्तव में जनता को महंगाई से राहत प्रदान करना था तो जीएसटी की दर सर्विस पर 5त्न करना था।सरकार और उनके लाडले उद्योगिक घरानो के खजाने पर कोई असर न पड़े उसका पूरा ख्याल जीएसटी की दरे बनाते समय रखा गया है और पेट्रोल डिजल को अभी भी पूर्णतया जीएसटी के दायरे से बहार रखा गया है जिसकी बानगी यह है की 2014 के बाद प्रति बेरल क्रूड आयल के रेट कम होने पर भी 2014 के रेट से अधिक रेट पर पेट्रोल डीजल बेचा जा रहा है और पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में न लेने से उसका फायदा आम जनता को नहीं मिल पा रहा है और चंद उद्योगिक घराने इसका भरपूर फायदा उठाकर मालामाल हो रहे है। अगर सरकार को वास्तव में जनता को राहत देना थी तो पेट्रोल डिजल को जीएसटी के दायरे में लाना था जिससे की पेट्रोल लगभग 60 रूपये और डीजल 50 रूपये प्रति लीटर पर उपलब्ध होता और ट्रांसपोर्टेशन सस्ता होने से आम जनता को महंगाई से राहत मिलती लेकिन सरकार की मंशा ही नहीं है की देश के 140 करोड़ लोगो को महंगाई से राहत मिले वो सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है।नई घोषित जीएसटी की दरों से आम जनता को कोई फायदा नहीं क्योकि जिन वस्तुओ पर शून्य जीएसटी की दर लगाई गई है उनमे से अधिकांश वस्तुए की मार्किट में बिलिंग ही नहीं होती है जिसको सरकारी आंकड़ों से स्वत: समझा जा सकता है की जीएसटी कलेक्शन में उनका योगदान कितना है। उसी प्रकार से जो आवश्यक वस्तुए है उन्हें चतुराई से बयानों में उल्लेख ही नहीं किया गया है जिनकी टैक्स स्लैब यथावत 18त्न ही रखी गई है और 28त्न की दर ख़त्म कर उसके स्थान पर 40त्न की नई टैक्स दर लगाकर सरकार ने एक हाथ से कान छोड़कर दूसरे हाथ से कान पकडऩे का काम किया है जिसे देश की भोली भाली 140 करोड़ की आम जनता सरकार की चाल समझ ही नहीं पा रही है।कृषि कार्य में सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाले डिजल पर किसी भी प्रकर से कोई राहत प्रदान नहीं की गई है जबकि 2014 में किसानो की आय दुगनी करने का वादा किया गया था लेकिन किसान की दुगनी आय तो छोड़ो वर्तमान में उसका लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है क्योँकि किसानी कार्य में आने वाली सभी वस्तुओ पर सरकार ने जीएसटी लगा रखी है अगर किसानो की आय दुगनी करना है तो उसे लागत कास्ट कम करना पड़ेंगी उसके लिए सरकार ने वर्तमान टैक्स दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है जबकि सरकार को कृषि कार्य में आने वाली सभी वस्तुओं और सर्विस पर जीएसटी हटाकर शून्य करना चाहिए साथ ही डिजल को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए तभी किसानो की लागत कास्ट को कम किया जा सकता है उस पर कृषि मंत्री शिवराज का यह बयान की हमने किसानो को राहत दी है जुमला से अधिक कुछ नहीं है।1200 सीसी एवं 4000 एमएम से लम्बे वाहनों एवं 350 सीसी से अधिक की मोटरसाइकिल पर 28त्न जीएसटी की दर बढ़ाकर 40त्न कर दि गई है जबकि वर्तमान में इसी सेगमेंट का मार्किट है जो सीधा सीधा मिडिल क्लास के ऊपर दोहरा टैक्स स्लैब है।अग्रवाल ने कहा की यह कुछ उदाहरण है जो स्वत: स्पष्ट करते है की सरकार किसी भी प्रकार से आम जनता को महंगाई से राहत प्रदान नहीं करना चाहती है और जनता के साथ आँकड़ो का खेल खेलकर 12त्न की दर को हटाकर आम जनता को बरगला रही है और 28त्न को बढ़ाकर 40त्न करने के बाद भी जनता को मुर्ख समझ रही है। दावे के साथ बोल सकता हु की कुछ सेगमेंट को छोड़कर पूर्व की भांति ही नित्य उपयोग में आने वाली वस्तुओ के दाम 22 सितम्बर के बाद भी यथावत रहेंगे और सरकार पूर्व की भांति ही जनता की जेब पर टैक्स रूपी डाका डालकर अपने ऐशो आराम के लिए खजाना भरती रहेंगी और आंकड़ों की बाजीगरी से जनता को बरगलाते रहेंगी।
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