(भोपाल)सिखों की राजनीतिक हत्या करना चाहते हैं सिख विरोधी दंगाइयों के नेता कमलनाथ
- 27-Oct-23 12:00 AM
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प्रदेश प्रवक्ता ने कहा- 39 साल बाद भी सिखों से बैर रखते हैं कांग्रेस और कमलनाथभोपाल 27 अक्टूबर (आरएनएस)। पूरा देश यह जानता है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ जी की क्या भूमिका रही है। किस तरह उन्होंने दिल्ली में दंगाइयों की भीड़ को सिखों की हत्या और गुरुद्वारे में आग लगाने के लिए उकसाया था। वही कमलनाथ अब सिखों की राजनीतिक हत्या करने पर आमादा हैं। कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में एक भी सिख नेता को टिकट नहीं दिया है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस और कमलनाथ की मानसिकता सिख विरोधी है और वे 39 साल बाद भी सिखों से बैर रखते हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने सिख समाज के प्रति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के रवैये की आलोचना करते हुए कही। सिखों के नरसंहार में शामिल रहे हैं कांग्रेस के नेताश्री सलूजा कहा कि 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे हुए थे। इस दौरान बड़े पैमाने पर सिखों का कत्लेआम हुआ था। इन दंगों में कांग्रेस के नेताओं की बड़ी भूमिका सामने आई थी। कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने भी दंगाइयों का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है। श्री सलूजा ने कहा कि इन दंगों में दंगाइयों ने दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे पर भी हमला किया था और दो लोगों को जिंदा जला दिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दंगाइयों की भीड़ का नेतृत्व कर कमलनाथ कर रहे थे, जिसको लेकर एसआईटी जांच भी चल रही है। श्री सलूजा ने कहा कि कमलनाथ की 84 के दंगों में भूमिका को लेकर देश भर के सिख समुदाय में आक्रोश रहा है और समय-समय पर उन पर कार्रवाई की मांग भी की जाती रही है। इसी के चलते जब कमलनाथ को कांग्रेस ने पंजाब का प्रभारी बनाया था, तब सिख समाज के विरोध के बाद उन्हें अपने पद से हटना पड़ा था। 8 नवंबर 2022 को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर इंदौर के खालसा स्टेडियम में आयोजित दीवान में जब कमलनाथ जी शामिल होने आए थे, तब भी प्रसिद्ध सिख कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने उनका विरोध किया था। उन्होंने भरे मंच से कहा था कि आपने आज ऐसे शख्स को अतिथि के रूप में बुलाया है, जिसके ऊपर 84 के दंगों के दाग लगे हैं। यही नहीं, बल्कि सिख समाज के विरोध के कारण भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए तय किए गए खालसा स्टेडियम को भी कांग्रेस को बदलना पड़ा था।सिख नेतृत्व को उभरने नहीं देना चाहते सिखों से बैर रखने वाले कमलनाथ प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, तब भी योग्य होने के बावजूद उन्होंने एकमात्र सिख विधायक हरदीप सिंह डंग को मंत्री नहीं बनाया था। जिसके कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। इस बार भी जबलपुर से लेकर महिदपुर, भोपाल, बुरहानपुर सहित कई स्थानों पर सिख समाज के कांग्रेस के नेताओं ने विधानसभा का टिकट मांगा था। सिख समाज के कई प्रतिनिधिमंडल टिकट घोषित होने के पूर्व कमलनाथ से मिले थे और सिख समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी और कमलनाथ ने इसका आश्वासन भी दिया था। लेकिन अफसोस की बात है कि कमलनाथ की कांग्रेस ने 230 में से एक भी टिकट सिख समाज के किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया। इससे स्पष्ट होता है कि कमलनाथ 39 वर्षों बाद भी सिख समाज से बैर रखते हैं और आज भी उनकी मानसिकता सिख विरोधी है। श्री सलूजा ने कहा कि सिख समाज के सामने कांग्रेस और कमलनाथ का सिख विरोधी चेहरा उजागर हो चुका है और आने वाले चुनाव में समाज इसका उचित जवाब कांग्रेस पार्टी को देगा।
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