(भोपाल)हमीदिया अस्पताल में पहली बार बेरियाट्रिक सर्जरी की गई

  • 30-Aug-25 12:00 AM

भोपाल,30 अगस्त (आरएनएस)। हमीदिया अस्पताल में पहली बार बेरियाट्रिक सर्जरी की गई। जिसके जरिए मोर्बिड ओबेसिटी और हार्निया से जुड़े गंभीर रोग से पीडि़त महिला का जीवन बचाया जा सका।डॉक्टरों के अनुसार, महिला मोर्बिड ओबेसिटी यानी अत्यधिक मोटापे से जूझ रही थी। उसका बीएमआई 42 था। इसके अलावा यह उपलब्धि इसलिए खास है क्योंकि मरीज को न केवल जानलेवा हर्निया था। इसके अलावा उसका वजन और मोटापा ऑपरेशन को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहा था।वरिष्ठ सर्जन डॉ. समीर शुक्ला ने बताया कि महिला की जान बचाने के लिए स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी के साथ आईपीओएम प्लस मेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया। यह तकनीक हमीदिया अस्पताल में पहली बार अपनाई गई। इसमें पेट का कुछ हिस्सा छोटा किया गया ताकि मरीज का वजन कम हो और साथ ही मेष (जाली) लगाकर हर्निया की दीवार को मजबूत किया गया।मोर्बिड ओबेसिटी क्या है?-जब बीएमआई 40 से ऊपर हो जाता है, तब इसे मोर्बिड ओबेसिटी कहते हैं। यह हार्ट अटैक, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाती है। ऐसे में बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों को कम करने का प्रभावी तरीका है। जिससे वजन घटाने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलती है।46 साल की महिला कई सालों से लम्बर हर्निया (कमर के पास का हर्निया) की समस्या से पीडि़त थीं। धीरे-धीरे यह बढ़कर उनके पेट के लगभग एक-तिहाई हिस्से तक फैल गया था। जांच में सामने आया कि उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 42 था और वजन 92 किलो। यह स्थिति मोर्बिड ओबेसिटी की श्रेणी में आती है, जिसमें शरीर पर अत्यधिक चर्बी जमा हो जाती है और यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।सीटी स्कैन में पता चला कि महिला का तानाका इंडेक्स 33त्न है, जिसका मतलब था कि उनकी छोटी आंत का बड़ा हिस्सा हर्निया में फंस चुका था। डॉक्टरों के मुताबिक, यह स्थिति किसी भी समय आंत ब्लॉकेज या आंत फटने जैसी जानलेवा दिक्कत पैदा कर सकती थी।इस ऑपरेशन में सर्जरी विभाग और एनेस्थीसिया विभाग की संयुक्त टीम ने अहम भूमिका निभाई। ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया देना भी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि मरीज का मोटापा और हर्निया दोनों मिलकर जटिल स्थिति पैदा कर रहे थे। घंटों चली मेहनत के बाद सर्जरी सफल रही और अब महिला स्वास्थ्य है।




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