(भोपाल) अब मुकाबला पाॢटयों के बीच नहीं प्रत्याशियों के बीच होगा
- 23-Oct-23 12:00 AM
- 0
- 0
भोपाल,23 अक्टूबर (आरएनएस)। भाजपा का सर्वे, संघ का सर्वे, शिवराज का सर्वे, दिल्ली का सर्वे, भोपाल का सर्वे, कांग्रेस का सर्वे, कमलनाथ का सर्वे। जी हां चुनाव के पहले कांग्रेस-भाजपा दोनों ही पार्टियों द्वारा बड़े-बड़े दावे किये जा रहे थे। हर विधानसभा का बड़ा यर्चे होगा। एक खास क्राइटेरिया होगा, जिसें प्रत्याशी की लोकप्रियता का ख्याल रखा जायेगा। आयाजित लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा, पैराशूट लैंडिंग नहीं होगी जातिगत समीकरण का विशेष ख्याल रखा जाएगा। मगर जैसे जैसे इन पाॢटयों की सूचियां आती रही वैसे-वैसे इनकी खोखले दावों की पोलपट्टी खुलती गई। भाजपा छोड़कर कांग्रेस से आयातित नेताओं और कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आये नेताओं को टिकट भी दिया। इन सूचियों के साथ पार्टी दफ्तरों पर कोई कपड़े फाडऩे लगा। भाजपा के सर्वे की पोल तो उसी दिन खुल गई थी जिस दिन भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह जैसे बड़े नेताओं, सांसदों को मैदान में उतारा, क्योंकि इनके नाम का सर्वे तो होने से रहा। कुल मिलाकर इन बड़े नेताओं के ऊपर से लैंडिंग हुई। अगस्त महीने में भाजपा ने अपनी पहली सूची जारी करके सबसे चौंकाया जरूर था, लेकिन उस सूची में भी अधिकांश हारे हुए चेहरों पर दांव लगाया था7 उसके बाद आई सूचिययों में उम्रदराज नेताओं को मैदान में उतारा। कांग्रेस की सूची में कमलनाथ के सर्वे को ही सर्वेसर्वा मानने वालों की हवा निकाल दी गयी। कांग्रेस की पहलीसूची को देखकर लगा कि कई सीटों पर पार्टी के पास चुनाव लडऩे के लिये लोग ही नहीं हैं। जो हैं वेा या तो इने नये हैं कि उनकी कुछ पहचान ही इलाके में नहीं है और पुराने हैं तो इतने पुराने हैं कि बीस साल पहले दिग्विजय मंत्रीमंडल में साथी रहे हैं। सब फिर चुनाव लड़ रहे हैं। खैर, अब इस चुनाव में प्रत्याशी ही महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरों पर किसी को केाई आकर्षण नहींं। भाजपा की तरफ से तो वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी ही मैदान में हैं। एमपी के मन में मोदी ही चुनावी कैम्पियन हैं, वोटरों को झांसे में लेने के लिये मुफ्त की रेवडिय़ां बांटने में दोनों पार्टियां एक दूसरे को पछाड़ ही हैं। इसलिये टिकट वितरण उसके बाद टिकट विरोध और फिर प्रचार का दौर अब शुरु होने को है। मगर इतना साफ है कि इस बार का चुनाव पार्टी की गिरफ्त से बाहर हो गया है। पैराशूट लैंडिंग आयातित नेताओं को पार्टी के कार्यकर्ता किस हद तक स्वीकार करते हैं, परिणाम उसी के आधार पर होगा। अनिल पुरोहित
Related Articles
Comments
- No Comments...