(भोपाल) आतंकी साजिश को लेकर एमपी में एनआईए टीम के 3 ठिकानों पर छापे

  • 14-Jun-25 12:00 AM

भोपाल, 14 जून (आरएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी साजिश को लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में तीन अलग-अलग ठिकानों पर छापामारी की है। यही नहीं, एमपी से सटे राज्य राजस्थान के झालवाड़ में भी दो स्थानों पर छापामार कार्रवाई की गई है। हिज्ब-उत-तहरीर (॥ञ्ज) संगठन से जुड़े लोगों के खिलाफ के कार्रवाई की गई है। इस दौरान एनआईए द्वारा कुछ संदिग्ध डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए जाने की खबर सामने आई है।बताया जा रहा है कि, हिज्ब-उत-तहरीर संगठन देश में सरकार को हटाकर इस्लामिक स्टेट स्थापना की साजिश रच रहा था। ये कमजोर वर्ग के मुस्लिम युवाओं का ब्रैनवॉश का काम कर रहे थे। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की साजिश रची जा रही थी।जांच एजेंसी द्वारा जारी बयान के अनुसार, तलाशी एनआईए द्वारा दर्ज किए गए एक मामले का हिस्सा थी, जो भारत में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे विभिन्न आतंकवादी और कट्टरपंथी नेटवर्क और संगठनों को नष्ट करने के प्रयासों का हिस्सा था। ये कमजोर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की एचयूटी की साजिश से संबंधित है।इसमें कहा गया है कि, युवाओं को भारत की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने और शरिया कानून द्वारा शासित एक इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए हिंसा फैलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा था।Ó बयान में ये भी कहा गया कि, एनआईए की टीमों ने तलाशी के दौरान डिजिटल डिवाइस जब्त की, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजने की दस्सावेजी कार्रवाई की जा रही है।हिज्ब-उत-तहरीर एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी। इसका मकसद वैश्विक इस्लामी खलीफा (इस्लामिक स्टेट) की स्थापना करना है, जो उनके विचार में मुस्लिम दुनिया पर शरिया कानून लागू करेगा। संगठन का मुख्यालय मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है।भारत में हाल के वर्षों में हिज्ब-उत-तहरीर की गतिविधियों को लेकर चिंता जताई गई है। मोदी सरकार ने इस संगठन को एक खतराÓ मानते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित किया है। सरकारी अधिकारियों की मानें तो हिज्ब-उत-तहरीर भारत में इस्लामिक स्टेट की स्थापना की दिशा में काम कर रहा है और यहां के सामाजिक ताने-बाने को तोडऩे में जुटा है।इस संगठन की विचारधारा इस्लामिक कट्टरता पर आधारित है। ये लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को स्वीकार नहीं करता और एक एकीकृत इस्लामिक राज्य की स्थापना पर जोर देता है। संगठन का दावा है कि वह गैर-हिंसात्मक तरीके से काम करता है, लेकिन इसके समर्थक कई बार सरकार विरोधी और अशांत गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।




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