(भोपाल) आपातकाल के बाद हलधर किसान काबिज हुआ सत्ता पर
- 27-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,27 अक्टूबर (आरएनएस)। जून 1975 को श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश में लागू किए गए आपातकाल का प्रभाव वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव पर साफ नजर आया था। कांग्रेस को जनता ने सत्ता से दूर कर दिया था। जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी प्रमुख विपक्ष की दल एकजुट होकर चुनाव मैदान में आए थे। संयुक्त विपक्ष की नई पार्टी जनता पार्टी का गठन किया गया। इसका चुनाव निशान हलधर किसान था। सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव लड़े। राज्य विधानसभा में 320 सीटों के लिए मतदान हुआ। परिसीमन के पश्चात प्रदेश में सीटों में वृद्धि हो गई थभ्। जनता पार्टी की आंधी में कई दिग्गज चुनाव हार गए आजादी के बाद पहली बार विपखी दल की सरकार सत्ता में काबिज हुई। इस चुनाव में जनता पार्टी को सर्वाधिक 47.28 प्रतिशत वोट मिले, जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 35.88 फीसदी वोट मिले। निर्दलीय प्रत्याशियों को 15.35 और पाँच उम्मीदवार जीतने में भी सफल रहे थे। इस चुनाव में जनता पार्टी 230, कांग्रेस 84, निर्दलीय उम्मीवार पाँच सीटों पर विजयी हुए, जबकि अखिल भारतीय राम राज्य परिशद का भी एक उम्मीदवार विजयी हुआ था। 24 जून 1977 को कल्ेाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि जोशी मुश्किल से छह माह का कार्यकाल पूरा कर पाए। उनके बाद जनवरी 1978 को वीरेन्द्र कुमार सकलेचा मुख्यमत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री बदलने का सिलसिला यही नहीं थमा। दो साल बाद जनवरी 1980 में सुंदरलाल पटवा को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस तरह नजा पार्टी की सरकार ने प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री का कार्यकाल देखा। प्रदेश में 30 अप्रैल 1977 से 23 जून 1977 तक राष्ट्रपति शासन रहा था। अनिल पुरोहित
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