(भोपाल) कांगे्रस की कोशिश बेहतर रिजल्ट देने की, भाजपा का प्रयास बढ़त बनाने की

  • 04-Nov-23 12:00 AM

भोपाल,04 नवम्बर (आरएनएस)। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने महाकौशल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया था। यानी की महाकौशल क्षेत्र की कुल 38 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 24 विधानसभा सीटें जीत ली थीं, वहीं भाजपा को मात्र 13 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और एक वारासिवनी विधानसभा सीट निर्दलीय उम्मीदवार प्रदीप जायसवाल जीत गए थे। स्वाभाविक है इस बार फिर कांग्रेस आलाकमान की कोशिश होगी कि वर्ष 2018 के रिजल्ट को न सिर्फ दोहराया जाए, बल्कि उससे और बेहतर रिजल्ट दिए जाए, वहीं भाजपा इस प्रयास में रहेगी कि वर्ष 2018 से अच्छा रिजल्ट वर्ष 2023 में देकर बढ़त हासिल की जाए। खैर यह तो अंतिम रिजल्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि भाजपा और कांग्रेस में से कौन भारी है। फिलहाल महाकौशल क्षेत्र में छह ऐसी विधानसभा सीटें हैं जिन पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। यह सभी हाई प्रोफाइल सीटें हैं, जिनमें छिंदवाड़ा, मंडला जिले की निवास, जबलपुर जिले की जबलपुर पश्चिम, नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर, गोटेगांव और गाडरवारा शामिल हैं। छह हॉट सीटों में से छिंदवाड़ा से कमलनाथ का जीतना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसी ही कुछ तस्वीर निवास की है। लोधी मतदाता जिधर गया उधर का पलड़ा भारी - भाजपा ने इस बार नरसिंहपुर विधानसभा सीट से सांसद एवं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर लाखन सिंह पर विश्वास जताया है। इस सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच बताया जा रहा है। वर्ष 2018 में भी लाखन सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन प्रहलाद पटेल के सगे भाई जालम सिंह पटेल ने उन्हें हरा दिया था। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2003, 2013 और 2018 में भाजपा के जालम सिंह यहां से जीत रहे हैं। हां यह जरूर है कि 2008 का चुनाव जालम सिंह हार गए थे। वह भी इसलिए कि उन्होंने उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी सेचुनाव लड़ा था। बाद में दोबारा भाजपा में आए और दो चुनाव लड़े जीते। नरसिंहपुर विधानसभा सीट लोधी बाहुल्य कही जाती है। यहंा पर 55 हजार लोधी मतदाता हैं। यानी की लोधी समाज जिस तरफ चला जाता है उसका पलड़ा भारी हो जाता है।




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