(भोपाल) खंडवा में डैमेज कंट्रोल की कोशिश जारी, विश्वासघात को मुद्दा बनाने की रणनीति

  • 18-Oct-25 12:00 AM

भोपाल,28 अक्टूबर (आरएनएस)। दल बदल के नाटकीय घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने अपना फोकस बुंदेलखंड की पृथ्वीपुर और विंध्य अंचल की रैगांव विधानसभा सीट पर बढ़ा दिया है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इन दोनों सीटों पर उसकी स्थिति अच्छी है। यानी खंडवा और जोबट को कांग्रेस कमजोर मान रही है। इधर, बड़ाह के विधायक सचिन बिरला द्वारा किए गए दल बदल के झटके से कांग्रेस उबरने की कोशिश कर रही है। खंडवा में डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज चालू है। पार्टी यहां विश्वासघात को मुद्दा बना रही है। साथ ही भाजपा के उन नेताओं की नाराजगी को भी भुनाने की कोशिश है, जो सचिन बिरला के भाजपा में आने के कारण खुद के लिए खतरा मान रहे हैं। कांग्रेस की निगाह भाजपा के पूर्व विधायक हितेंद्र सोलंकी और उनके समर्थकों पर है। कांग्रेस बड़वाह की जनता को यह भी बता रही है कि सचिन बिरला ने उन्हें अनावश्यक चुनाव में झोंक दिया है। इसके अलावा गुर्जर मतदाताओं के लिए पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की तीन सभाएं रखी गई हैं। इनमें से एक सभा बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में भी होगी। कांग्रेस को आदिवासी वोटों के लिए जयस का सहारा है। पार्टी की भरसक कोशिश है कि आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और राजपूत मतदाताओं का समीकरण बनाया जाए। वैसे खंडवा और जोबट में कांग्रेस के प्रचार का इतना जोर नहीं आ रहा है लेकिन आने वाले दो दिनों में कांग्रेस यहां अपना प्रचार अभियान तेज कर सकती है। कांग्रेस के प्रचार अभियान में यह देखा गया है कि कमलनाथ की सभाओं में ही थोड़ी बहुत भीड़ जुटी है अन्यथा दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक की सभाएं फ्लॉप रहीं हैं। कांग्रेस ने अपने युवा नेताओं का भी पूरा उपयोग नहीं किया है। एक तरह से सारा चुनाव अभियान कमलनाथ ने खुद संभाल रखा है। उन्होंने सभी दूर अपने खास समर्थकों को तैनात किया है। इस काम से अन्य गुटों के नेता थोड़े से नाराज भी हैं। सचिन बिरला के दल बदल के कारण कांग्रेस के अभियान को ना केवल खंडवा बल्कि जोबट और अन्य सीटों पर भी नुकसान हुआ है। कांग्रेस जनता से जुड़े मुद्दे उठाने के बजाए व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में उलझ गई है। इससे भाजपा को असानी हो रही है।अनिल पुरोहित/अशफाक




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