(भोपाल) गुजरात के संकेतों ने आदिवािसयों से बढ़ाई उम्मीदें
- 02-Nov-23 12:00 AM
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भोपाल,02 नवम्बर (आरएनएस)। मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी आदिवासी मतदाताओं के हाथों में है। यह अतिश्योक्ति नहीं, बल्कि पिछले कई चुनावों के परिणामों का विश्लेषण बताता है। खास बात यह है कि पड़ोसी राज्यों के आदिवासी समुदाय का वोट पैटर्न एक जैसा ही रखता है। इसकी झलक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सौंध गजरात में भी दिखाई पड़ती है। ऐसे अनुमान भाजपा की उम्मीद बन रहे हैं, क्योंकि 2022 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एसटी आरक्षित 27 सीटों में से 23 पर जीत दर्ज करते हुएसत्ता बरकरार रखी है। गुजरात के इन्हीं परिणाम से मप्र व छग की उम्मीदों को पंख लग रहे हैं। इससे पहले भी जब गुजरात में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस को 27 में से 15 सीट मिली थी, उन्हींचुनाव के बाद जब 2018 में मध्यपदेश-छत्तीसगढ़ में चुनाव हुए तो आदिवासी वोट में कमी के चलते ही भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। इसी उम्मीद में भाजपा ने मध्यप्रदेश में गुजरात से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में गुजरात के आदिवासी नेता ओर कार्यकर्ताओं को प्रबंधन का जिम्मा सौंपा है। अनिल पुरोहित
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