(भोपाल) जब अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे सुभाष यादव
- 11-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,11 अक्टूबर (आरएनएस)। वे प्रदेश के सबसे बड़े किसान नेता और सहकारिता के आधार स्तंभ थे। उनका बड़ा योगदान रहा प्रदेश की कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में। उन्होंने प्रदेश को एक नई दिशा दी। मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि मैंने बहुत कुछ सीखा। कृष क्षेत्र के बारे में भी उन्होंने मुझे बहुत ज्ञान दिया है। वे निमाड़ के उस नेता के कार्यों के प्रति व्यक्त की गई कृतज्ञता है जो किसानों के लिए एक बखत अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर बैठ गए थे। हम बात कर रहे हैं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे सुभाष यादव की। सुभाष यादव प्रदेश के बसे बड़े किसान नेता और सहकारिता के आधार स्तंभ थे। उनका बड़ा योगदान रहा प्रदेश की कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में, उन्होंनके प्रदेश को एक नई दिशा दी। पप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के शब्दों में-मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि सुभाष यादव से मैंने बहुत कुछ सीखा, कृषि क्षेत्र के बारे में भी उन्होंने मुझे बहुत ज्ञान दिया है। सुभाष यादव और मैं पहली बार 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए एक साथ चुने गए थे, वे लोकसभा की नियमावली को बड़े ही ध्यानपूर्वक पढ़ते थे और शाम को जब हम साथ में बैठते थे तो वह मुझे समझाते थे कि इस प्रकार हमें प्रश्न पूछना चाहिए, इस प्रकार हमें ध्यानाकर्षण लगाना है। मुझे आज भी याद है कि सुभाष यादव कहा करते थे कि मध्यप्रदेश का भविष्य कृषि क्षेत्र है, जो आज भी सत्य है, क्योंकि प्र्रदेश की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र पर आधारित है, यदि कृषि क्षेत्र प्रदेश में कमजोर हुआ तो मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। दिसम्बर 1996 में रायपुर में हुए राज्य सहकारिता के सम्मेलन में सुभाष यादव ने सरकार के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया। राज्य में शराबबंदी का मुद्दा उठाला और इसके लिए अभियान तेज किया। उस वक्त किसी ने अपेक्षा नहीं की थी कि शराबबंदी के लिए कोईऐसा कदम उठाएगा। वो भी सुभाष यादव? उनसे तो किसी को उम्मीद ही नहीं थी। शराबबंदी को लेकर कोई आंदोलन करे, ये लोगों को लगता था कि कुछ ज्यादा ही हो रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी शुरु में इस मुद्दे को हल्के में लिया लेकिन जब सुभाष यादव को इस पर अडिग देखा तो उन्होंने अपने मंत्रियों को कहा कि इस पर एक आम राय बनी चाहिए। अगर सुभाष यादव शराबबंदी को लेकर इतने ही गंभीर है तो पद छोड़कर सड़क पर आ जाए। इसके जवाब में सुभाष यादव ने कहा था कि अगर मुख्मयंत्री चाहते तो उन्हें हटा दें...। अनिल पुरोहित
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