(भोपाल) जीते जी नहीं की मां-बाप की कद्र, अब श्राप के डर से तर्पण करने वृद्धाश्रम में ढूढ रहे उनकी निशानियां

  • 04-Oct-23 12:00 AM

भोपाल,04 अक्टूबर (आरएनएस)। वृद्धाश्रम में माता-पिता को छोडऩे के बाद अधिकतर लोग उन्हें पलटकर भी नहीं देखते। ज्यादातर मामलों में दाह संस्कार के लिए भी नहीं पहुंचते। लेकिन बेटे अब श्राद्ध पक्ष में माता-पिता की निजी सामग्री मांगने वृद्धाश्रम पहुंच रहे हैं। इन बच्चों को अब पितरों के श्राप की चिंता सता रही है। ऐसे में उनका श्राद्ध करने परिजन का सामान या कोई निशानी ढूंढते हुए वृद्धाश्रम के चक्कर काट रहे हैं। यह है कारण : ज्यादातर लोगों ने कहा कि उन्हें माता-पिता अशांत आत्मा का भय सताता है। कुछ ने बताया कि उन्हें बुरे सपने आते हैं। वहीं, दो लोगों ने कहा कि उनके बिजनेस, नौकरी, जीवन में असफलता व अशांति है। डेथ सर्टिफिकेट के कारण दबाव : आसरा, अपना घर और आनंधाम से मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर बच्चे अंतिम संस्कार करने नहीं आते। हालांकि, बैंक खाते, संपत्ति के कारण उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र जल्दी चाहिए। अनिल पुरोहित




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