(भोपाल) तब चुनाव में आजकल जैसा तामझाम और फिजूलखर्ची नहीं होती थी
- 29-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,29 अक्टूबर (आरएनएस)। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मध्य प्रदेश में 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पक्ष में प्रचंड लहर थी। इसके बावजूद श्योपुर सीट से मैंने भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त करा दी थी। 1971 में सिंधिया परिवार के विरोध के बावजूद में यह चुनाव महज 400 वोटों से हारा था। इसकी वजह क्षेत्र में पूज्य पिताजी ठाकुर उदयभानु सिंह चौहान का समर्पण, अथक परिश्रम, विनोबा भावे और गांधीजी के आदर्शों का पालन थी। मेरे पिता 1952 से 1957 तक श्योपुर के विधायक रहे, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें विधायक का टिकट दिया, लेकिन रगों में गांधीवाद था, इसलिए सियासत का नकलीपन उन्हें रास नहीं आया और अगले चुनाव में उन्होंने टिकट वापस कर दिया। आज जौरा में जो गांधी सेवा आश्रम है, उसकी नींव पिता ने ही रखी थी। आजकल चुनाव प्रचार में तामझाम और फिजूलखर्ची देखकर मन व्यथित हो जाता है। पहले चुनाव बहुत ही शांत वातावरण में होते थे। आज बड़े-बड़े नेता मंत्री प्रत्याशी को जिताने के लिए चुनावी सभाएं करते हैं। अनिल पुरोहित
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