(भोपाल) दिग्गजों के निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी के रूप में उतरने से कतराते हैं दूसरे नेता
- 13-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,13 अक्टूबर (आरएनएस)। चुनावी बिसात बिछ चुकी है। समर में कई ऐसे योद्धा फिर ताल ठोंक रहे हैं तो वर्षों से अपनी ताकत का लोहा मनवा रहे हैं। भाजपा ने अब तक घोषित प्रत्याशियों की सूची में कई ऐसे योद्धाओं पर फिर दांव लगाया है। इनमें से ज्यादातर प्रत्याशी तीन दशक या उससे भी ज्यादा समय से मैदान में डटे हैं। इनमें से कुछ नेताओं का कद इतना बढ़ गया है कि उनके सामने दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी उतारने से कतराने लगे हैं। भाजपा से नौंवीं बार गोपाल भार्गव मैदान में उतरने को तैयार हैं। पार्टी ने उन्हें रहली से प्रत्याशी बनाया है। वह नौंवीं बार मैदान में हैं। इसी तरह आठवीं बार मैदान में उतरने वालों ें भाजपा के करण सिंह वर्मा और विजय शाह हैं। गौरीशंकर बिसेन भी टिकट की दौड़ में हैं। अब तक छह बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जगीदश देवड़ा, रामपाल सिंह भी ऐसे ही चेहरे हैं, जो सातवीं बार विधानसभा पहुंचने के लिए कांग्रेस से भिड़ेंगे। शिवराज सरकार में लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव सागर की रहली विधानसभा सीट से लगातार नौवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1984 में पहली बार विधायक चुने गए थे। तब से लगातार जीत दर्ज करा रहे हैं। अब तक ये मप्र विधानसभा में सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। वहीं दमोह विधानसभा सीट से पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया भी नौंवीं बार चुनाव लडऩे के लिए कतार में हैं। वे 1984 में उप चुनाव लड़कर विधायक बने थे और 1990 से लगातार 2018 तक विधायक रहे हैं। यह सीट 28 साल से भाजपा के कब्जे में है। पिछली बार 2018 में मलैया चुनाव हार गए थे। वर्ष 2020 में कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली है। उपचुनाव हुआ तो राहुल चुनाव हार गए। अब मलैया एक बार फिर दावेदारी कर रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि उन्हेंया उनके बेटे को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। ऐसे ही बालाघाट से भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर बिसेन हैं। 1984 में पहली बार विधायक बने बिसेन 1998 और 2004 में सांसद रहे और 2008 से लागातर तीन चुनाव जीतकर शिवराज सरकार में मंत्री बने हैं। अमरपाटन से छठवीं बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह 1980 में पहली बार विधायक चुने गए थे। फिर वे 1993, 2003 और फिर 2013 में विधायक रहे। पिछली बार 14वीं विधानसभा में उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे। 1985 में पहली बार विधायक चुने गए अजय सिंह (पूर्व नेता प्रतिपक्ष) कांग्रेस की टिकट परी भाजपा के शरदेंदु तिवारी से हार गए थै। इससे पहले 1993 मेंभी सिंह पराजित हुए थे। चुरहट सीट पर 1972 से कांग्रेस का कब्जा है। अजय सिंह इस बार सातवीं बार विधानसभा में पहुंचने के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। भोपाल उत्तर से मैदान में डटे कांग्रेस के आरिफ अकील भी कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। वे इसी सीट से 1990 में विधायक बने और 1998 से लगातार विधायक हैं। अकील इन दिनों अस्वस्थ्य हैं और चुनाव डऩे की संभावना कम है। इस सीट से अकील के परिजनों के बीच कांग्रेस की टिकट के लिए विवाद चल रहा है। कांग्रेस की कद्दावर आदिवासी नेत्री जमुना देवी को 1990 मेंहराकर सबसे कम उम्र की विधायक बनने वाली रंजना बघेल भी टिकट की दावेदारी में हैं। रंजना 1990 में पहली बार विधायक बनी थीं। अनिल पुरोहित
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