(भोपाल) दिग्विजय सिंह की नाराजगी कम नहीं हुई
- 08-Nov-23 12:00 AM
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भोपाल,08 नवम्बर (आरएनएस)। प्रदेश में कांग्रेस को एक समस्या दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच आई तल्खी के कारण महसूस हो रही है। सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खडग़े के प्रयासों के फलस्वरूप दोनों की बयानबाजी बंद हो गई है। दिग्विजय सिंह मैदान में भी हैं, लेकिन उस जोश के साथ काम नहीं कर रहे हैं जिस जोश के साथ टिकट वितरण के पूर्व लगे थे। इस बार यदि पिछली बार की तुलना में कांग्रेस में बगावत अधिक है तो इसका कारण यह है कि दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थकों को कांग्रेस के पक्ष में काम करने के लिए दबाव नहीं डाला। कांग्रेस के अधिकांश बागी दिग्विजय सिंह के समर्थक ही हैं। यदि दिग्विजय सिंह चाहते तो इनमें से आधे से अधिक अपना नाम वापस ले लेते लेकिन कमलनाथ के साथ अनबन के चलते ऐसा नहीं हो सका। टिकट वितरण की प्रक्रिया में जिस तरह से कमलनाथ ने उन्हें झटका दिया उससे दिग्विजय सिंह अभी तक उबर नहीं पाए हैं। जिस तरह 2018 में दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के लिए जमावट की थी। वैसा नजर नहीं आ रहा है। उनकी सक्रियता भी पहले की तुलना में 50 फीसदी रह गई है। पिछले वर्ष दिग्विजय सिंह ने घोषणा की थी कि वे उन सीटों पर व्यक्तिगत रूप से जाकर संगठन को मजबूत करेंगे और कार्यकर्ताओं को मैदान में जाएंगे जहां कांग्रेस पिछली बार हारी थी। दिग्विजय सिंह ने ऐसी सभी विधानसभाओं के दौरे करना प्रारंभ कर भी लिए थे, लेकिन टिकट वितरण में जिस तरह से कमलनाथ ने मनमर्जी चलाई उससे दिग्विजय सिंह उखड़ गए। नतीजा यह है कि ऐसा लग रहा है कि वो चुनाव अभियान में औपचारिक रूप से ही भाग ले रहे हैं। जिस सक्रियता के साथ उनकी मौजूदगी दिखती है, वैसा इस बार नहीं दिख रहा। खास तौर पर सज्जन वर्मा की बयान बाजी और उनके रवैए से दिग्विजय सिंह अधिक आहत हैं। दिग्विजय सिंह के अनमने रहने से कांग्रेस का बूथ मैनेजमेंट प्रभावित हो रहा है। कांग्रेस के पक्ष में माहौल तो है, लेकिन इस माहौल को मतदान के दिन तक बनाए रखना बिना दिग्विजय सिंह के मुश्किल होगा। प्रचार अभियान के अंतिम चरण में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपनी सक्रियता कम कर दी है। इस समय चुनाव प्रबंधन और चुनाव अभियान की समस्त कमान केवल कमलनाथ ने संभाल रखी है। बूथ मैनेजमेंट भी यही देख रहे हैं।
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