(भोपाल) पटवा और दिग्गी राजा को भी मिली भरपूर सीटें
- 06-Nov-23 12:00 AM
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भोपाल,06 नवम्बर (आरएनएस)। 1990 में केन्द्र की राजीव गांधी के खिलाफ विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफोर्स में दलाली का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया। इस दौरान भाजपा भी रामरथ पर सवार हुई। लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या से सोमनाथ की यात्रा शुरु की। रामलहर और बोफोर्स के मेल ने कांग्रेस को कई राज्यों से सत्ता से बेदखल कर दिया। 1990 में भाजपा ने 220 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई। सुंदरलाल पटवा चीफ मिनस्टर बनाए गए। 1992 में बाबरी ढांचा टूटने के बादपटवा की सरकार को केंद्र ने बर्खास्त कर दिया। 1998 में फिर मध्यप्रदेश में चुनाव हुए। राम लहर का असर मध्यप्रदेश में नहीं रखा। स्थायित्व के मुद्दे पर कांग्रेस को जनता ने 174 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत दिया। 1998 में भी फिर से कांग्रेस को 172 सीट के साथ दिग्विजय सिंह ने दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 1990 के बाद चुनावी राजनीति में एक बदलाव देखा गया। कांग्रेस हो या भाजपा, सरकार तो पूर्ण बहुमत की बनती रही, मगर वोट प्रतिशत का अंतर कम होता गया। 2003 में प्रमोद महाजन भाजपा के चुनावी रणनीतिकार बने। उन्होंने राम के साथ मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के शासनकाल में विकास को मुद्दा बनाया। सड़क और बिजली के मुद्दे पर एंटी इनकंबेंसी का असर हुआ। तब तक मध्यप्रदेश से निकलकर छत्तीसगढ़ नया राज्य बन चुका था। विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव हुए और भाजपा को जनता ने 173 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत दिया। लगातार 2018 तक भाजपा मध्यप्रेश की सत्ता में काबिज रही। 15 महीने के ब्रेक के बाद भाजपा ने फिर सत्ता हासिल कर ली।
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