(भोपाल) भाजपा : सबसे बड़ी जीतम मिली तब तीन सीएम बनें
- 30-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,30 अक्टूबर (आरएनएस)। आजादी के बाद साल 1951 में प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। उस वक्त भाजपा के बजाय जनसंघ मैदान में थी। जनसंघ में मध्यप्रदेश की कुल सीटों में से 76 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे मगर जब नतीजे आए तो पार्टी को केवल चार प्रतिशत वोट शेयर मिला बिना कोई सीट जीते। हालांकि इसके बाद वाले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और चार से बढ़कर दस फीसदी वोट शेयर हुआ दस सीटों पर पहली बार जीत भी मिली। इसके बाद से यह सिलसिला बढ़ता गया। आज बात भाजपा ने जो मुकाम हासिल किया उसकी। राज्य में 1967 के विधानसभा चुनावों से लेकर 1977 में जनसंघ के विघटन तक पार्टी का लगभग 30 प्रतिशत वोट शेय रहा। साल 1962 में जनसंघ 17 फीसदी वोटों के साथ कांग्रेस के खिलाफ राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थभ्। इस चुनाव में जनसंघ को कुल 41 विधानसभा सीटें मिली थी। भाजपा का एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर 1980 में गठन हुआ था, जिसके बाद से भगवा पार्टी हमेशा राष्ट्रीय दल की श्रेणी में रही है। 1980 के मध्य प्रदेश चुनाव में भाजपा को अच्छा जनादेश प्राप्त हुआ था, जिसमें पाअभर्् ने कुल 320 विधानसभा सीटों में से 310 पर चुनाव लड़ी। इस चुनाव में भगवा पार्टी को 60 सीटों पर जीत मलने के साथ कुल 30 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ था। भाजपा को आखिर 1990 के विधानसभ्ज्ञा चुनाव में पहला बार मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने का मौका मिला। इस चुनाव में पार्टी 220 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ ही 39 फीसदी वोट शेयर हासिल किये थे। हालांकि राज्य में सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी और सन 2003 तक यहां कांग्रेस की सरकार थी। राज्य में दोनों राजनीतिक दलों के बीच का ग्राफ एक दूसरे में शिफ्ट करते रहा है। जैसे 1980 में 30 फीसदी वोट शेयर के बावजूद भाजपा कांग्रेस के 48 फीसदी वोट से पीछे थी जबकि इसके बाद से वोट शेयर धीरे-धीरे भाजपा का बढ़ता रहा जो 1993 से 1998 के बीच दोनों पार्टियों के वोट शेयर में केवल दो फीसदी का अंतर रह गया था। भाजपा के लिए मध्य प्रदेश में साल 2003 का विधानसभा चुनाव बड़ा बदलाव लेकर आया। इस चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस को पूरी तरह से शिकस्त दे दी और राज्य में भारी बहुमत के साथ आई थी 2003 में भाजपा को कुल 230 विधानसभा सीटों में से 173 सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस केवल 38 सीटों पर अटक गई। इस जीत के बाद सिर्फ एक टर्म में पार्टी ने मध्यप्रदेश में तीन-तीन मुख्यमंत्री बनाए। उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद नवम्बर 2005 में सीएम बने शिवराज सिंह चौहान तब से लेकर आजतक मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं। भाजपा 2003 के बाद से कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। यहां तक कि 2018 चुनाव में सरकार कांग्रेस की बनी मगर वोट शेयर भाजपा का ज्यादा था। अनिल पुरोहित
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