(भोपाल) भाजपा-कांग्रेस टिक्टों में नहीं चलने दी सूबेदारी व प_ेबाजी
- 17-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,17 अक्टूबर (आरएनएस)। प्रदेश की सियासी फिजा में फिल्हाल कांग्रेस के टिकट वंचितों का रुदन और चीख सभी के कानों तक पहुंच रही है। नवरात्रि के शुभ-लाभ वाले मुहूर्त में पार्टी ने 144 सीटें घोषित कर दी हैं। भाजपा टिकट बांटने के मामले में चतुर निकली। जिन सीटों में टिकटाार्थियों की चीख-पुकार मचनी थी उन्हें पहले ही बांट दिया। जिनको जहां जाना था वहां जाकर सेटल हो गए। अब उन 94 सीटों के लिए नाम घोषित करने हैं जहां ज्यादा मारा-मारी नहीं है। टिकट ऐसी हाय-तौबा तो हर बार मचती है, पर यह मुद्दतों बाद देखने को मिल रहा है कि दोनों प्रतिद्वंद्वी दल इस बार फूंक-फूंक कर आगे बढ़ रहे हैं। यह चुनाव दोनों दलों के लिए करो या मरो जैसा है। टिकट जिन्हें नहीं मिली वो भले ही नाराज हैं लेकिन न तो भाजपा और न ही कांग्रेेस ने टिकट में एसेसा कोई रिस्क दिखाया जिसमें प_ेबाजी या ठाकुर सोहाती दिखती हो। कांग्रेस पिछले कई दशकों में प_ेबाजी या सूबेदारी प्रथा से मुक्त दिख रही है। जिन नेताओं के परिजनों को टिकटें रिपीट हुई हैं वे पहले से ही जीतते आ रहे हेँ। मसलन दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और बेटे जयवर्धन सिंहको कुछेक अपवादों को छोड़ दें तो इस बार कोई इस तरह के कोटे की बात नहीं कर रहा कि पचौरी को इतनी, राहुल के हिस्से में इतनी, तो ये अरुण यादव के कोटे वाले, इतना हिस्सा दिग्विजय सिंह का और इतने कमलनाथ के खास। दोनों दलोंने इस बार पैराशूट लैंडिंग यानी कि दो दिन पहले से दल बदल कर आए उम्मीदवार को उताराने से परहेज किया है। भाजपा द्वारा सांसदों पर दांव लगाने के बाद कांग्रेस ने टिकट के मामले में जीरो टालरेंस की नीति अपना ली। दल छोडऩे वाले थैल्ी लिए बसपा की ओर भाग रहे हैं या फिर समाजवादी पार्टी या आप की ओर फुंकी हुर्ठ कारतूस साबित हो चुकी बसपा खंड-खंड विभाजित गोंगपा से हाथ मिलाने की बात कर रही है तो कांग्रेस एक बार फिर जयस को पुचकार रही है। कुल मिलाकर चुनावी चौसर में प्यादे बैठाने के पहले दौर में यही सबकुछ चल रहा है। अनिल पुरोहित
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