(भोपाल) मतदान से दूर विमुक्त घुमंतू, पहचान से भी वंचित
- 01-Nov-23 12:00 AM
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भोपाल,01 नवम्बर (आरएनएस)। विमुक्त घुमंतू जनजाति वर्ग के लोग, यानी महात्मा गांधी के शब्दों में अंतिम आदमी। घूम-घूमकर जीवन यापन करने वाली इस जनजाति को आज भी वोट से कोई मतलब नहीं होता। न इनके पास काई पहचान पत्र मिलता है, न ही कोई सरकारी सुविधा का लाभ ही इन्हें मिल पाता है। इनसे न कोई वोट मांगने जाता है और न ये ही किसी को वोट करने जाते हैं। विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर अधिकतर के पास जमीन नहीं हे और ये तंबू, झुग्गी, कच्चे या अद्र्ध पक्के घरों में रहते हैं। जो परिवार एक स्थान पर छह माह तक रुक जाते हैं, उनके तो नियमानुसार मतदाता परिचय पत्र बन जाते हैं, लेकिन देखा यही गया है कि ये मतदान कम ही कर पाते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश भर में इनकी संख्या लगभग 15 करोड़ है। अनिल पुरोहित
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