(भोपाल) रिश्तों की डोर... बुआ-भतीजे के किस्सों में तो कभी कक्का की ठसक में ऐंठी राजनीति, अब मामा के दुलार मेें आगे बढ़ रहीं

  • 01-Oct-23 12:00 AM

भोपाल,01 अक्टूबर (आरएनएस)। दादा और भाई साहब की राजनीतिक रिश्तों की डोर पुरानी है। उम्र में बड़े हों या राजनीतिक लाभ के लिए कभी दादा कह दिया तो कभी भाई साहब। वैसे इन दिनों रिश्ते में पहले बच्चियों के मामा और अब कहनों के भाई के रूप में जो रिश्ते आम आदमी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कायम किया है, यह बेमिसाल है। मध्य प्रदेश की राजनीति में अगर कोई पुराना राजनीतिक रिश्ता है तो वह जमुना देवी और दिग्विजय सिंह के बीच रहा है। जमुना देवी राजनीति में बुआ संबोधित की गई तो दिग्विजय सिंह उनके भतीजे। इन दोनों का यह निजी रिश्ता भी था। हजारीलाल रघुवंशी जी कक्का कहलाए और इसके अलावा राजनीति में कोई अन्य रिश्तेदारी सुनने देखने में नहीं आता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मध्य प्रदेशक ी राजनीति में खुद को चाचा का संबोधन दिया लेकिन चाचा अभी मशहूर नहीं हो पाए हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में सीएम को उनके कार्य एवं व्यवहार के चलते अलग अलग संबोधन दिया गया। मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल स्वप्न दृष्टा कहलाए तो पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा राजनीति के चाणक्य कहे गए संत पुरुष के रूप का संबोधन कैलाश जोशी को मिला तो कुंवर अर्जुन सिंह संवेदनशील मुख्यमंत्री कहलाए। मोतीलाल वोरा सरल मुख्यमंत्री कहलाए तो बाबूलाल गौर बुलडोजर मुख्यमंत्री के रूप में चिन्हे गए। हालांकि गौर साहब मंत्री रहते हुए अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलवा कर फेमस हुए थे। प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री उमा भारती गऊ प्रेम के लिए पहचानी गई तो शिवराज सिंह चौहान विकास पुरुष कहलाए। दिग्विजय सिंह दिग्गी राजा के रूप में संबोधित किए गए। पंडित श्यामाचरण शुक्ल, सुंदरलाल पटवा, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, कमलनाथ को ऐसा कोई संबोधन नहीं मिला, जैसा कि अन्य मुख्यमंत्रियों को दिया गया। अनिल पुरोहित




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