(भोपाल) वन ग्रामों में सर्वे कब शुरू होगा और कब कमेटी बनेगी, सरकार इसका स्पष्ट जवाब दे-उमंग सिंघार

  • 21-Jun-25 12:00 AM

भोपाल, 21 जून (आरएनएस)। मुख्यमंत्री द्वारा वन ग्रामों का फिर से सर्वे कराना और आदिवासी पट्टे को लेकर की गई घोषणा को लेकर लगातार आदिवासियों की आवाज उठा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे स्वागत योग्य कदम बताते हुए सरकार से नीति स्पष्ट करने की मांग की है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले को लेकर नेपानगर में रैली कर 15 दिन की समयसीमा देते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी, जिसके बाद आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा है। सिंघार ने इसे आदिवासियों की जीत बताते हुए सरकार से सवाल भी पूछे हैं।उमंग सिंघार ने आज भोपाल में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की आदिवासियों के पट्टे को लेकर की गई घोषणा प्रदेश के आदिवासियों की जीत है। सरकार को आदिवासियों की पीड़ा और संघर्ष के आगे झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों में फिर से सर्वे होगा और जो छूटे हैं उन्हें पट्टे दिए जाएंगे यह एक स्वागत योग्य कदम है।उन्होंने कहा कि हमने नेपानगर क्षेत्र में आदिवासियों के वन भूमि के पट्टों के अधिकार के लिए आंदोलन शुरू किया था और यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। उमंग सिंघार ने आगे कहा कि सिर्फ घोषणा ही समाधान नहीं है, सरकार इन बिंदुओं पर जवाब दे:-जिन 3.5 लाख वनाधिकार पट्टों को आपने निरस्त किया, क्या उनका दोबारा सर्वे होगाजो 1.25 लाख नए आवेदन आए हैं, क्या उन्हें भी इस सर्वे में शामिल किया जाएगासरकार सर्वे कब तक कराएगी क्या इसकी कोई समय-सीमा तय की गई हैसर्वे के लिए कमेटी का गठन कब होगा कौन जि़म्मेदार होगा, और कब तक टीम गांवों में पहुंचेगीसिंघार ने कहा यह सिफऱ् एक खाली घोषणा लग रही है। जिससे प्रदेश के आदिवासियों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को इन सवालों का तत्काल और स्पष्ट जवाब देना चाहिए।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कौन काट रहा है आदिवासियों के जंगल सरकार इस पर जांच कराए। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखऱि ऐसा क्या कारण है कि पिछले दो-तीन वर्षों में कई इलाकों में जंगल तेजी से साफ हो रहे हैं क्या इसमें वन विभाग की मिलीभगत है बार-बार आदिवासियों पर आरोप लगाया जाता है कि वो जंगल काट रहे हैं-लेकिन सच्चाई क्या हैउमंग सिंघार ने अंत में कहा कि सरकार को इस पूरे मामले की तत्काल निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, ताकि जंगल बचें और आदिवासियों को बदनाम करने की साजि़श भी सामने आ सके।गौरतलब है कि आदिवासियों के पट्टों और अधिकारों को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने नेपानगर में एक बड़ी रैली की थी और सरकार को 15 दिन में मामलों का निराकरण ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके अलावा देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मोहन यादव जी को पत्र भी लिखा था, जिसके बाद सरकार झुकी और उन्हें आदिवासियों को लेकर एक कदम आगे बढ़ाना पड़ा है।




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