(भोपाल) वायु प्रदूषण अब फूलों की खुशबू कम कर रहा है
- 10-Oct-23 12:00 AM
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भोपाल,10 अक्टूबर (आरएनएस)। इसका प्रभाव फसलों के साथ अन्य पौधों के विकास पर देखा जा सकता है। ये वह पौधे हैं, जिनका विकास परागण के कारण होता है। वायु प्रदूषण मधुमक्खियों, भवरों सहित इन जैसे अन्य परागकणों को गंध के माध्यम से फूल ढूंढने सेरोकरहा है। ये खुलासा यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी (यूकेसीईएस) और दक्षिणी क्वींसलैंड विवि की एकशोध टीम ने किया है। प्रोफेसर क्रिश्चियन पफ्रांग बताते हैं कि हमने पाया कि वायु प्रदूषण से प्रभावित हो रहे ओजोन फूलों से निकलने वाली गंध के आकार और प्रकार को काफी हद तक कम करने के साथ उनमें बदलाव भी कर रहा है, जिससे ये परागकणों को अपनी और आकर्षित नहीं कर पा रहा है। एक अन्य शोध के अनुसार 100 में से सिर्फ 52 मधुमक्खियां छह मीटर तक ज्यादा अच्छे से महक पहचान पाती हैं। शोध की मानें तो इन आंकड़ों में भी बदलाव संभव है। ऐसे में परागकणों को प्राकृतिक वातावरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस शोध के दौरान मधुमक्खियों को गंभ मिश्रण की पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया और फिर नई ओजोन-संशोधित गंधों के संपर्क में लाया गया। बता दें कि परागण करने वाले कीट फूलों को खोजनेके लिए फूलों की गंध का उपयोग करते हैं और रासायिनक यौगिकों के उनके अनूठे मिश्रण को इससे मिलने वाले रस की मात्रा के साथ जोड़ते हैं ताकी भविष्य में उन्हें इसी प्रजाति का पला लगाने में आसानी हो। शोध से पता चला कि पंखों के केंद्र की ओर 52 प्रतिशत मधुमक्खियां छह मीटर पर गंथ पहचानती हैं, जो 12 मीटर पर घटकर 38 प्रतिशत रह जाती हैं। अनिल पुरोहित
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