(भोपाल) शराब फैक्ट्रियों के मालिकों की पैसे की खनक के आगे सरकार के सभी विभाग नतमस्तक...?

  • 27-Jul-24 12:00 AM

भोपाल,27 जुलाई (आरएनएस)। मध्यप्रदेश में आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते जहां राज्य में शराब ने घर पहुंच सेवा का रूप तो ले ही लिया है बल्कि अब वह शराब के अवैध कारोबारियों प्रदेश के कुछ राजनेताओं की मिलीभगत की बदौलतप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृह प्रांत गुजरात में भी शराब पर पूर्णरूप से नशाबंदी होने के बाद भी उसे वहां भी शराब धड़ल्ले से फलफूल रहा है, प्रदेश की शराब फैक्ट्रियों की पैसे की खनक के आगे ना तो इन फैक्ट्रियों के आसपास प्रदूषण को कोई देखने वाला है और न ही सरकारी नियमों का पालन हो रहा है, शराब फैक्ट्री के मालिक जब चाहते हैं तब उनकी पैसों की खनक के आगे आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत के चलते उनकी फैक्ट्रियों से अवैध शराब धड़ल्ले से निकलकर उसके आसपास के जिलों में पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा लाखों रुपये की शराब पकड़े जाने की खबरें सुर्खियों में रहती हैं अभी हाल ही में छतरपुर कलेक्टर की जागरुकता के चलते वहां से जाने वाली रेलगाड़ी से अवैध शराब का जखीरा पकड़ा गया था। अंग्रेजी शराब का जखीरा पकड़े जाने की खबर सुर्खियों में रही। शराब फैक्ट्रियों के जिन प्रदूषण मंडल बोर्ड के रीजनल अधिकारियों के अंतर्गत यह शराब फैक्ट्रियां आती हैं यदि उनसे इन फैक्ट्री के आसपास फैलाए जाने के प्रदूषण के बारे में कोई क्यक्ति शिकायत करता है तो उन फैक्ट्री के मालिकों की व्यवस्था को लेकर यह कसीदे पढऩे लगते हैं, उनको सुनकर यह लगता है कि वह इन फैक्ट्री मालिकों की पैसे की खनक के आगे फैक्ट्रियों में जाकर उनकी चरण वंदना करने लगें, ऐसा समझ में आता है उन फैक्ट्री मालिकों के कसीदे पढऩे की बात को सुनकर यह समझ में आता है यदि इनका वश चले तो वह प्रदेश की जनता की और फैक्ट्री के आसपास के नागरिकों की जीवन की परवाह न करते हुए उनकी चरण वंदना करने पर आमादा हैं। इन शराब फैक्ट्रियों के द्वारा जहां आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने का तो धड़ल्ले से चल रहा है बल्कि उनके परिसर में फै ले जहरीले अनाज को खाने के कारण राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत होने की खबरें भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहीं, मगर इसके बाद भी न तो उन अधिकारियों के द्वारा उन फैक्ट्रियों के खिलाफ काई कार्यवाही की जाने की खबरें सुर्खियों में रहीं, बल्कि स्थिति यह है कि इन फैक्ट्रियों के द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के कारण आसपास के क्षेत्र के ग्रामों में लगे हैण्डपम्पों से जहरीला लाल पानी निकलने तक की खबरें सुर्खियों में रहीं, मगर आज तक यह सुनने में नहीं आया कि उस जिले के अधिकारियों द्वारा उस फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई, यही वजह है कि इन फैक्ट्रियों में आये दिन प्रदूषण के नियमों को धता बताने का काम जारी है, बल्कि अवैध शराब का कारोबार भी धड़ल्ले से पनप रहा है। क्षेत्र के जागरुक नागरिक जब इन फैक्ट्रियों से संबंधित प्रदूषण मंडल के रीजनल ऑफिस में जाकर यह शिकायत करते हैं कि जब फैक्ट्री की चिमनियों से निकलने वाले धुंए से क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित हो रहा है जिसके कारण किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं, तो वह फैक्ट्री मालिक की व्यवस्था को लेकर कसीदे पढऩे लगते हैं और यह कहने लगते हैं कि आपको पता नहीं है धुंआ कितने प्रकार का होता है तो इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से कोई प्रदूषण नहीं फैलता है, मजे की बात तो यह है कि वह फैक्ट्री मालिकों के कसीदे पढ़ते नागरिकों को यह ज्ञान देने लगते हैं कि आपको पता नहीं वह धुंआ तो निकलता ही रहता है मगर कभी उन्होंने या अन्य विभाग के अधिकारियों ने इस बात को लेकर उन फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि कि उनके यहां शराब का कितना उत्पादन होता है और बिजली का बिल कितना आता है, फैक्ट्रियों के संबंधित विभाग के अधिकारियों की इन फैक्ट्री मालिकों के पैसे की खनक के आगे उनकी जी हुजूरी करने और उनके कसीदे पढऩे की स्थिति को देखते हुए लोगों की यह समझ में आ जाता है कि मध्यप्रेश में शराब फैक्ट्रियों से संबंधित सभी विभागीय अधिकारी इन फैक्ट्री मालिक के पैसे की खनक के आगे उनके कारनामों को अनदेखा करने में लगे हुए हैं यही वजह है कि प्रदेश में इन फैक्ट्रियों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की रहनेवाली जनता इन फैक्ट्रियों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण के आगे तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं? यदि सरकार इन शराब फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले लोगों का ठीक से स्वास्थ्य परीक्षण कराए तो यह ग्रामवासी तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं? मगर शराब फैक्ट्रियों के पैसे की खनक के आगे इन नागरिकों के स्वास्थ्य की ही नहीं बल्कि जिन परिस्थतियों में वह अपना जीवन इन शराब की फैक्ट्रियों के पास रहकर भगवान भरोसे जीवन जी रहे हैं मगर उनकी पवाह मध्यप्रदेश के उन राजनेताओं पर है जो मोदी की गारंटी का राग अलापकर भ्रष्टाचार को पनपाने में लगे हुए हैं, यही वजह है कि इन शराब फैक्ट्रियों से संबंधित विभाग के अधिकारी शराब कंपनियों के मालिकों के पैसे की खनक के आगे अपने मुंह पर ताला लगाए इन फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं मगर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है, क्योंकि सबकुछ इन फैक्ट्री मालिकों की पैसे की खनक के आगे धड़ल्ले से चल रहा है, तभी तो कभी सोम फैक्ट्री की लापरवाही की खबरें तो कभी लेबड़ में स्थापित केडिया शराब फैक्ट्री के यहां से इंदौर के तत्कालीन कमिश्नर पांच ट्रक शराब के भरे पकड़ते हैं मगर कार्रवाई के नाम पर कभी कोई खबर नहीं आती है, इसी का कारण है कि उनके यहां जिन देश के 80 लाख लोगों को मुफ्त में खाद्यान्न देने की खबरों का ढिंढोरा पीटकर नरेंद्र मोदी से लेकर हर भाजपाई नेता बड़े-बड़े ढिंढोरे पीटने में लगा रहता है मगर उसे यह नहीं मालूम कि यह 80 लाख लोगों को मिलने वाले मुफ्त के खाद्यान्न उन हितग्राहियों को नहीं जिनको दिये जाने का वह ढिंढोरा पीटते हैं बल्कि इस मुफ्त के राशन की खुले बाजार में बिक्री की खबरें कभी अलीराजपुर की दावत में बिक्री में सुर्खियों में बनी रही हैं तो कभी केडिया ग्रुप की फैक्ट्री के यहां से तीन ट्रक चावल पकड़े जाने की खबरें सुर्खियों में बनी हुई हैं, अभी हाल ही में एक ट्रक गेंहू छतरपुर में भी बाजार में जाते हुए जब्त हुआ है, मगर वह किस गांव का था और कौन उसका मालिक था उसके खिलाफ जिला प्रशासन ने क्या कार्रवाई की इसकी खबर की भनक आज तक नहीं लग सकी है, यही वजह है कि जबलपुर में एक गुजराती कारोबारी के वेयरहाउस में रखी तीन करोड़ की धान सड़ गई लेकिन उसके खिलाफ क्या कार्यवाही हुई यह जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है और वह गुजराती कारोबारी रफूचक्कर हो गया मगर हमारे प्रदेश के अधिकारियों द्वारा उस कारोबारी के खिलाफ कोई कार्यवाही किये जाने की खबर आज तक नहीं है, राज्य में गुजरातियों का जो खेल कभी प्रदेश में नहर बनाने का तो कभी हटा जैसे ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल बनाने की खबरों को सुनकर यह लगता है कि इस प्रदेश में अब शायद ही कोई ठेकेदार बचा हो जिसको यह सरकार किसी विभाग के निर्माण कार्य का ठेका देती हो क्योंकि ऐसा जनता का कहना है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार में सडक़ निर्माण कार्य गुजरातियों के हाथों में सौंप रखी है तभी तो राजधानी में बने हमीदिया अस्पताल की गुणवत्तावहीन निर्माण की हालत देखकर यह समझ में आता है कि हमीदिया अस्पताल को बनाने का ठेका भी गुजरात की एक कम्पनी को ही दिया गया था तभी तो चिकित्सा विभाग में बैठे मंत्री से लेकर अधिकारी तक उस गुणवत्ताविहीन बने हमीदिया अस्पताल की हालत को देखकर कुछ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं?




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