(भोपाल) हार के बाद सिक्कों और तलवारों से सालभर तुलते रहे - दिलीप जूदेव
- 14-Oct-23 12:00 AM
- 0
- 0
भोपाल,14 अक्टूबर (आरएनएस)। अविभाजित मप्र में वे 1988 का चुनाव अर्जुनङ्क्षसह से हारे। जीत के बाद अर्जुनसिंह ने कोई विजय जुलूस नहीं निकाला हार के बावजूद उन्होंने रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में हमारी जीत चुरा ली गई के नारे के साथ भव्य जुलूस निकाला। यह सिलसिला अलग-अलग क्षेत्रों में सालभर चलता रहा जिसमें उन्हें लोगों ने कहीं कलदारों (सिक्कों) से तो कहीं तलवारों से तौला। वे जशपुर राजघराने के सदस्य थै। बड़ी पहचान आदिवासियों की घर वापसी को लेकर चलाए गए व्यापक अभियान से थी। अपने राजनीतिक करियर में उनके सामने एक दौर ऐसा भी आया जब वे अपने एक डॉयलॉग पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं से भी सुर्खियों में रहे। हम बात कररहे हैं दिलीपसिंह जुदेव की। वे जशपुर से लोकसभा संासद रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पर्यावरण मंत्री बने। रॉयल फै मिली से जुड़े होने के कारण लोग उन्हें कुंवर साहब कहते थे। सन 1980-90 के बीच जूदेव की लोकप्रियता चरम पर थी। तब वे युवाओं के बीच यूथ ऑईकॉन के रूप में जाने जाते थे। जिस गांव जिस शहर में जातेथे वहां युवा अपना हाथ काटकर खून से उनका तिलक करते थे। ऑपरेशन घर वापसी देश ही नहीं दुनिया भर में चर्चा का विषय बना रहा। इस ऑपरेशन ने जशपुर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। आठ मार्च 1949 को जशपुर के राजघराने में जन्में दिलीप सिंह जूदेव के पिता राजा विजय भूषण देव जशपुर रियासत के आखिरी शासक थे। सन 1975 में सक्रिय राजनीति में शामल हुए और जशपुर नगर पािलका के अध्यक्ष बने। जूदेव के जीवन का सबसे यादगार चुनाव खरसिया का उपचुनाव था, उस समय छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा था। तब एमपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह उपचुनाव के लिए खरसिया में खड़े हुए थे। इस चुनाव के लिए जूदेव ने उनके ऑफिस में जाकर उनको चुनौती दी थी। इस चुनाव में अर्जुनसिंह को बड़ी मुश्किल से जीत मिली थी।
Related Articles
Comments
- No Comments...